वायुदाब, गतियां, एवं पवनें
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वायुदाब, गतियां एवं पवनें
विश्लेषणात्मक अवधारणा
पृथ्वी तल पर प्रति इकार्इ क्षेत्र पर वायु के पड़ने वाले भार को वायुदाब कहते है। पृथ्वी के औसत वायुदाब में विभिन्न भौतिक कारकों से अक्षांशीय, प्रादेशिक और स्थानीय स्तर पर परिवर्तन या विचलन की स्थिति पार्इ जाती है। इसी आधार पर इसका अध्ययन उच्च वायुदाब और निम्न वायुदाब के रूप में किया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में वायु के नीचे बैठने और उपर उठने के कारण उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर एक ढाल का विकास होता है। वायु का क्षैतिज प्रवाह उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर विकसित होता है और क्षैतिज पवनों की उत्पत्ति होती है।
- वायुमण्डल की गैसें एवं जलवाष्प धरातल पर भिन्न-भिन्न मात्रा में दबाव डालती हैं, इसी दबाव को वायुदाब कहते हैं।
- वायुदाब की भिन्नता का मुख्य कारण तापमान, ऊंचार्इ तथा जलवाष्प की भिन्नता एवं पृथ्वी की घूर्णन गति है।
- वायुदाब मापने की इकार्इ को मिलीबार कहते हैं।
- एक मिलीबार एक वर्ग सेमी पर एक ग्राम भार के बल के बराबर होता है।
- वायुदाब बैरोमीटर द्वारा मापा जाता है।
- अश्व अक्षांश पेटी दोनो गोलार्द्ध में \[30{}^\circ \]से \[35{}^\circ \]अक्षांशों के मध्य स्थित है।
- डोलड्रम विषुवतीय निम्न वायुदाब पेटी है जो भूमध्य रेखा के दोनों ओर \[5{}^\circ \] अक्षांशों के मध्य स्थित है।
- फिलीपीन्स, जापान तथा चीन सागर में चलने वाले चक्रगामी चक्रवातों को टाइफून कहते हैं।
- उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबन्धों से विषुवतीय निम्न दाब कटिबन्ध की ओर दोनों गोलार्द्ध में निरन्तर चलने वाली पवनों को व्यापारिक पवन कहते हैं।
- विषुवत् वृत्त पर कोरिऑलिस बल शून्य होता है और पवनें समदाब रेखाओं के समकोण पर बहती है।