महाद्वीपीय एवं महासागरीय सञ्चालन

महाद्वीपीय एवं महासागरीय सञ्चालन

Category :

महाद्वीपीय एवं महासागरीय सञ्चालन

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

 

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के विकास का मुख्य आधार हेरीहेस का सागर नितल प्रसरण सिद्धांत और पुराचुम्बकत्व का सिद्धांत है। प्लेट सीमांतों और भूगर्भिक क्रियाओं के क्षेत्रों में एकरूपता का पाया जाना इस तथ्य को प्रमाणित करता है कि प्लेंट विवर्तनिकी और भूगर्भिक क्रियाएं अंतसंबंधित है। इस सिद्धांत में मूल रूप से यह माना गया की स्थलमंडल कर्इ प्लेटों में विभक्त है, और यह प्लेटें नीचे स्थित प्लास्टिक दुर्बलमंडल के उपर अस्थिर अवस्था में है। प्लास्टिक दुर्बलमंडल से उत्पन्न होने वाली संवहनिक ऊर्जा तरंगों के कारण इन प्लेटों में सापेक्षिक गतियां पायी जाती है, जिसके कारण ही विभिन्न प्रकार की भूगर्भिक क्रियाएं घटित होती है।

 

  • अल्फ्रेड वेगनर (जर्मनी), एक प्रसिद्ध जलवायुवेत्ता तथा भूगर्भशास्त्री द्वारा महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत दिया गया।
  • वेगनर का मानना था कि कार्बनिफेरस युग में समस्त स्थल भाग आपस में एक पिंड के रूप में संलग्न थे। इस स्थल पिंड को पैंजिया नाम दिया गया।
  • वेगनर के अनुसार, अंध महासागर के दोनों तटों पर भौगोलिक एकरूपता पार्इ जाती है। दोनों तट एक-दूसरे से मिलाए जा सकते हैं।
  • होम्स ने 1928 में वलित पर्वतों की व्याख्या के क्रम में संवहनिक ऊर्जा तरंग सिद्धांत दिया।
  • सन 1964 में हैरी हेस ने सागर नितल प्रसरण की परिकल्पना दी। इनके अनुसार सागरीय तह गतिशील है। यह अटलांटिक महासागर के मध्यवर्ती कटक के अध्ययन पर आधारित था
  • हेस के अनुसार मध्य सागरीय कटक का प्रसार 1 सेंटीमीटर प्रति व”र की दर से हो रहा है।
  • पूरा चुम्बकत्व के अध्ययन से यह ज्ञात होता है की पृथ्वी की भौगोलिक एवं चुम्बकीय झव तथा अक्ष परिवर्तित होते रहे है।
  • महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत एवं समुद्र नितल प्रसरण सिद्धांत ने संयुक्त रूप से प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत के विकास को आधार प्रदान किया।
  • व”र 1967 में मैकेन्जी पारकर और मोरगन ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर एक अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत कहा गया।
  • प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत का संबंध स्थलमंडलीय परिवर्तनों की व्याख्या करना है।
  • प्रशांत प्लेट मुख्यत: महासागरीय प्लेट है, जबकि यूरेशियार्इ प्लेट को महाद्वीपीय प्लेट कहा जाता है।
  • आकार के आधार पर प्लेटों को वृहद्, लघु और सूक्ष्म वगोर्ं में वर्गीकृत किया गया है।


You need to login to perform this action.
You will be redirected in 3 sec spinner