कार्य, ऊर्जा एवं शक्ति
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कार्य, ऊर्जा और शक्ति
विश्लेषणात्मक अवधारणा
हम प्रायः कार्य, ऊर्जा, और शक्ति शब्दों का प्रयोग करते हैं। भौतिकी में कार्य शब्द को परिशुद्ध रूप से परिभाषित करते हैं। जिस ५ व्यक्ति में प्रतिदिन चौदह से सोलह घंटे कार्य करने की क्षमता होती है उसे अधिक शक्ति या ऊर्जा वाला कहते हैं। शक्ति शब्द का अर्थ भौतिकी में 'के निकट' है। इस पाठ का लक्ष्य इन तीन भौतिक राशियों की धारणाओं का विकास करना है लेकिन इसके पहले हमें आवश्यक गणितीय भाषा मुख्यतः दो सदिशों के गुणनफल को समझना होगा।
कार्य (Work)
भौतिक विज्ञान में किसी वस्तु पर बल लगा कर, बल की दिशा में किया गया विस्थापन या क्रिया कार्य कहलाती है कार्य की माप वस्तु पर लगाये बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफलं बराबर होती है।
कार्य = बल \[\times \] बल की दिशा में विस्थापन
\[\] यदि विस्थापन की दिशा में कोण बना रहा है
तो \[W=F\,\cos \theta \times \Delta d\]
यदि विस्थापन और बल परस्पर लंबवत है तो \[\theta =90{}^\circ \]
\[W=Fcos\,90{}^\circ =0\] तो कार्य (W) = शून्य होगा
कार्य एक अदिश राशि है, कार्य का मात्रक = न्यूटन मीटर या जूल होता है।
कार्य के मात्रक (unit of work) - दो प्रकार के होते हैं)
(i) निरपेक्ष मात्रक (Absolute Unit),
(ii) गुरुत्वीय मात्रक (Gravitational Unit)
निरपेक्ष मात्रक- निरपेक्ष मात्रक में कार्य की SI मात्रक = जूल होती है
\[\], W = 1 न्यूटन \[\times \] 1 मीटर = 1 जूल, W = 1 जूल CGS पद्धति में कार्य का निरपेक्ष मात्रक अर्ग होता है।
W = F . S, W = 1 डाइन \[\times \] 1 सेंटीमीटर = 1 अर्ग,
1 जूल = \[{{10}^{7}}\] अर्ग होता है।
कार्य का गुरुत्वीय मात्रक
SI पद्धति में गुरुत्वीय मात्रक - कि.ग्रा. भार - मीटर होता है ।
W= 1 कि.ग्रा. \[\times \] 1 मीटर, W = 9.81 न्यूटन \[\times \] 1 मीटर,
W = 9.81 जूल
CGS पद्धति में कार्य का गुरुत्वीय मात्रक- ग्राम भार सेंटीमीटर होता है।
W = 1 ग्राम भार \[\times \] 1 सेंटीमीटर, W = 981 डाइन \[\times \] 1 सेंटीमीटर,
W= 981 अर्ग
शक्ति (Power)
किसी व्यक्ति द्वारा कार्य किये जाने की दर को उस व्यक्ति की सामर्थ्य या शक्ति कहते हैं \[P=\frac{\Delta W}{\Delta t}\]
बल F तथा वेग V की दिशाओं का कोण \[\theta \] है। अब यदि बल तथा वेग एक ही दिशा में हो, तो \[\theta =0\], \[[P=F.V]\] अदिश राशि है।
शक्ति का मात्रक वॉट है।
शक्ति का विमीय सूत्र -\[\left[ M{{L}^{2\text{ }}}{{T}^{-3}} \right]\]
1 वाट = 1 जूल /से, 1 किलोवाट = 1000वाट = \[{{10}^{3}}\] वाट
1 मेगावाट = 1000 किलोवाट = \[{{10}^{6}}\] वाट
1 अश्व शक्ति =746 वाट
ऊर्जा संरक्षण का नियम
इस सिद्धांत के अनुसार ऊर्जा को न तो नष्ट किया जा सकता है न ही उत्पन्न किया जा सकता है। केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है।
किसी भी निकाय की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योगफल उस निकाय की यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है।
निष्कर्षः जैसे-जैसे पिंड पृथ्वी की ओर गिरता है उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ती है तथा स्थितिज ऊर्जा घटती जाती है।
घर्षण बल एवं अन्य बलों की अनुपस्थिति में पिंड की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जा का योग सदैव स्थिर रहता है।
गुरुत्वीय बल के अंतर्गत पिंड की कुल यांत्रिक ऊर्जा सदैव नियत रहती है।
कार्य ऊर्जा प्रमेय- किसी बल द्वारा किसी वस्तु पर किया गया कार्य उस वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है।
\[W={{K}_{f}}-{{K}_{i}},[W=\Delta K]\](जहां \[{{K}_{i}}\] = प्रारंभिक गतिज ऊर्जा, \[{{K}_{f}}\] = अंतिम गतिज ऊर्जा, \[\Delta K\] = गतिज ऊर्जा में परिवर्तन, W = कार्य)
महत्वपूर्ण बिंदु -
1 जूल = 0.24 कैलोरी, 1 कैलोरी = 4.186 जूल,
1 अश्व शक्ति = 746 वाट, 1 इलेक्ट्रॉन वोल्ट = \[1.6\times {{10}^{-19}}\] जूल,
1\[{{K}_{e}}V\] = \[1.6\text{ }\times \text{ }{{10}^{-16}}\] जूल, 1\[{{M}_{e}}V\] = \[1.6\text{ }\times \text{ }{{10}^{-13}}\] जूल
चावल से प्राप्त ऊर्जा \[=\text{ }5.3\times {{10}^{6}}\]जूल/कि.ग्रा. आलू से प्राप्त ऊर्जा = \[3.7\times \text{ }{{10}^{6}}\]जूल/कि.ग्रा. गेंहू से प्राप्त ऊर्जा = \[3.2\text{ }\times \text{ }{{10}^{6}}\] जूल/कि.ग्रा. . दूध से प्राप्त ऊर्जा = \[3.0\times {{10}^{6}}\] जूल/कि.ग्रा. |
ऊर्जा व्ययः
दौड़ने में - 22.7 किलो जूल/मिनट तैरने में - 25.6 किलो जूल/मिनट टहलने में - 10.9 किलो जूल/मिनट सोने में - 3.2 किलो जूल/मिनट |
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