Super Exam Indian Polity and Civics Supreme Court and High Court Question Bank सर्वोच्चय न्यायालय

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    निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (INDIAN POLITY-2007)
    1. न्यायाधीश (जाँच) विधेयक, 2006 के अन्तर्गत एक न्यायिक परिषद् को स्थापित करने का विचार है, जो भारत के मुख्य न्यायमूर्ति सहित उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति और न्यायाधीशों के विरुद्ध शिकायतें स्वीकार करेगी।
    2. घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 के अन्तर्गत कोई महिला किसी प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास अर्जी दाखिल कर सकती उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं
     

    A) केवल 1

    B) केवल 2

    C) 1 और 2

    D) न तो 1 और न ही 2

    Correct Answer: B

    Solution :

    व्याख्या-न्यायाधीश (जाँच) विधेयक, 2006 के अन्तर्गत भारत में उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के विरुद्ध भ्रष्टाचार एवं दुव्र्यवहार के मामलों की जाँच को सरल बनाने के लिए ’राष्ट्रीय न्यायिक परिषद्’ का गठन किया जाना है। इस विधेयक के तहत सरकार ने न्यायाधीश (जाँच) अधिनियम, 1968 में संशोधन करने की अनुमति दे दी है। इस नए विधेयक में किसी भी व्यक्ति को सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के विरुद्ध ’राष्ट्रीय न्यायिक परिषद्’ में शिकायत दर्ज करने का अधिकार प्राप्त है। इस प्रस्ताव में राष्ट्रीय न्यायिक विधायन से भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर रखा गया है। इस संशोधन के माध्यम से न्यायपालिका हेतु आचरण संहिता भी लाने का प्रस्ताव है। न्यायाधीश (जाँच) विधेयक में विधि आयोग की 195वीं रिपोर्ट में अधिकांश सिफारिशों को समाहित किया गया है। इसका गठन उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में होगा, जिसमें उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के क्रमशः दो-दो वरिष्ठ न्यायाधीश होंगे। यदि इस परिषद के अध्यक्ष के विरुद्ध कोई, शिकायतें आती हैं, तो उसकी जाँच के लिए राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (परिषद् के अध्यक्ष) के बाद के वरिष्ठतम न्यायाधीश को आगे की जाँच के लिए अध्यक्ष नियुक्त करेंगे। भारत के राजपत्र में प्रकाशित घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 के अनुसार इसके अध्याय (1) के खण्ड 2 के उपखण्ड (4) के तहत ’मजिस्ट्रेट’ शब्द की परिभाषा प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में की गई है। अत; कोई भी महिला अपनी अर्जी इनके पास दाखिल कर सकती है। इसके द्वारा मजिस्ट्रेट (दण्डाधिकारी) को यह अधिकार दिया गया है कि वह दुव्र्यवहारकर्ता के विरुद्ध पीड़ित महिला के पक्ष में सुरक्षा आदेश जारी कर सके, ताकि इससे दुव्र्यवहारकर्ता कोई घरेलू हिंसा नहीं कर सके।


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