MP State Exams General Studies MPPSC Preliminary (C-SAT) Solved Papers 2012 Shift-II

  • question_answer
    गद्यांश
    कला और जीवन का संबंध अन्योन्याश्रित है। कलाकार कल्पना और यथार्थ का समन्वय कर समाज के समक्ष आदर्श रूप प्रस्तुत करता है। इसी कारण जीवन का कला के स्वरूप पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। कलाकार जीवन के यथार्थ रूप को ही चित्रित नहीं करता, वरन् वह आदर्श रूप को प्रस्तुत करता है। इस प्रकार जीवन का कला पर और कला का जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। कलावाद अर्थात् 'कला कला के लिए’ संबंधी विचारों में जीवन के लिए उपयोगी कला ही श्रेयस्कर मानी गई है। कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा है -
    “केवल मनोरंजन ही न कवि का कर्म होना चाहिए
    उसमें उचित उपदेश का भी मर्म होना चाहिए
    मानते हैं जो कला को कला के अर्थ ही
    स्वार्थिनी करते कला को व्यर्थ ही।”
    “कला और जीवन अन्योन्याश्रित हैं” का तात्पर्य क्या है?

    A) एक-दूसरे से पृथक् हैं।

    B) एक-दूसरे पर आश्रित हैं।

    C) किसी अन्य तत्व पर आश्रित हैं।

    D) जीवन में दोनों उपयोगी हैं।

    Correct Answer: B


You need to login to perform this action.
You will be redirected in 3 sec spinner