Super Exam History Freedom struggle Question Bank स्वाधीनता संग्राम (1928-1935 ई.)

  • question_answer
    1932 र्इ.. में महात्मा गांधी ने मरणपर्यन्त उपवास प्रधानतया इसलिए किया कि

    A) गोलमेज सभा भारतीय राजनैतिक आकांक्षाओं को सन्तुष्ट करने में असफल हुर्इ

    B) कांग्रेस और मुस्लिम लीग में मतभिन्नता थी

    C) रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने साम्प्रदायिक अधिनिर्णय (कम्युनल अवार्ड) की घोषणा की।

    D) उपरोक्त में से कोर्इ नहीं

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर - रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने साम्प्रदायिक अधिनिर्णय (कम्युनल अवार्ड) की घोषणा की।
    व्याख्या - ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रेम्जे मेकडोनाल्ड ने 16 अगस्त 1932 को ‘साम्प्रदायिक निर्णय’ की घोषणा की। साम्प्रदायिक निर्णय, उपनिवेशवादी शासन की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का एक और प्रमाण था। गांधीजी ने साम्प्रदायिक निर्णय को राष्ट्रीय एकता एवं भारतीय राष्ट्रवाद परप्रहार के रूप में देखा। उनका मत था कि यह हिन्दुओं एवं दलित वर्ग दोनों के लिये खतरनाक है। उनका कहना था कि दलित वर्ग की सामाजिक हालत सुधारने के लिये इसमें कोर्इ व्यवस्था नहीं की गयी है।
    टिप्पणी - अपनी मांगों को स्वीकार किये जाने के लिये 20 सितंबर 1932 से गांधी जी आमरण अनशन पर बैठ गये। कर्इ राजनीतिज्ञों ने गांधीजी के अनशन को राजनैतिक आंदोलन की सही दिशा से भटकना कहा। इस बीच विभिन्न राजनैतिक विचारधाराओं के नेता, जिनमें एम. सी. रजा, मदनमोहन मालवीय तथा बी. आर. अम्बेडकर सम्मिलित थे, सक्रिय हो गये। अंतत: एक समझौता हुआ, जिसे पूना समझौता या पूना पैक्ट के नाम से जाना जाता है।


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