Super Exam General Studies Dance and Music / नृत्य और संगीत Question Bank शास्त्रीय, अर्धशास्त्रीय एवं उप शास्त्रीय संगीत (संगीत कला भाग 2)

  • question_answer
    ध्रुपद शैली के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार करें
    1. ध्रुपद शैली का प्रचलन प्राचीन काल में अधिक था।
    2. शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति में नियमबद्धता आवश्यक है। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें

    A) केवल 1

    B)                          केवल 2

    C) 1 और 2   

    D)          न तो 1 न ही 2

    Correct Answer: B

    Solution :

    उत्तर - केवल 2
    व्याख्या - कथन 1 असत्य है। वस्तुत: यह एक प्राचीन शैली है जिसका प्रचलन मध्यकाल में अधिक था। ध्रुपद भारत की समृद्ध गायनशैली मानी जाती है। मध्यकाल में भारतीय संगीत के विकास के दौरान हिंदुस्तान संगीत उत्तर भारतीय शैली और कर्नाटक संगीत दक्षिण भारतीय शैली के रूप में दो भिन्न शैलियों का विकास हुआ। शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति अर्थात् गायन, वादन और नर्तन में पूरी तरह से नियमबद्धता आवश्यक है। नियमों में बंधा हुआ। शास्त्र-सम्मत संगीत ही शास्त्रीय संगीत कहलाता है। इनमें नियमों का कठोरता से पालन आवश्यक होता है।
    टिप्पणी - शास्त्रीय संगीत के पद, खयाल, ध्रुपद आदि का जन्म ब्रजभूमि में होने के कारण इन सबकी भाषा ब्रज है और ध्रुपद का विषय समग्र रूप ब्रज का रास ही है। कालांतर में मुगलकाल में ख्याल उर्दू की शब्दावली का प्रभाव भी ध्रुपद रचनाओं पर पड़ा। वृन्दावन के निधिवन निकुंज निवासी स्वामी हरिदास ने इनके वर्गीकरण और शास्त्रीयकरण का सबसे पहले प्रयास किया।


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