A) पंखेरू गीत
B) राती जगो
C) घडलियो
D) उपरोक्त सभी
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर - उपरोक्त सभी |
व्याख्या - राजस्थानी लोक संगीत की एक लंबी परंपरा है। धार्मिक रीति-रिवाजों, त्योहारों, मेलों और देवताओं को समर्पित लोक गीत हैं। पंखेरू राती जगो, घडलियो राजस्थान के प्रसिद्ध लोकसंगीत है। |
पंखेरू गीत - राजस्थानी अंचल में कई अत्यंत प्रिय एवं प्रसिद्ध पंखेरू गीत गाये जाते हैं, जैसे- आड, कबूतर, कमेड़ी, काग, कागली, काबर, कालचिड़ी, कुरजां, कोचरी, कोयल, गिरज, गेगरी, गोडावण, चकवा-चकवी, चमचेड़, टीटोड़ी, तिलोर, तीतर, दौडो, पटेबड़ी, पीयल, बइयो, बुगलो, मोर, सांवली, सारस, सुगनचिड़ी, सूवो, होलावो आदि। इनमें से कुछ अंचल विशेष तक सीमित है और कुछ सार्वभौम स्वरूपं लिए हुए है। विषय वस्तु की दृष्टि से इन पंखेरू गीतों को इन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है - |
1. वर्णनात्मक गीत |
2. शकुन गीत |
3. प्रेम भरे सम्बोधन गीत राती जगो - जब बारात ब्याह के लिए चली जाती है तो वर पक्ष की स्त्रियां रात के पिछले पहर में राती जागो नामक गीत गाती हैं। देवी देवताओं के गीतों में माता जी, बालाजी (हनुमान जी),भेरू जी, सेड़ल माता, सतीराण पी, पितराणी आदि को प्रसन्न करने की भावना छिपी है। सबके अलग अलग गीत होते हैं। इसके अलावा विशेष अवसर पर देवों को प्रसन्न करने के लिए भी रात भर जागरण करके महिलाओं द्वारा राती जगो के गीत गाये जाते हैं। |
घडलियो - मेवाड़ क्षेत्र में बालिकाओं द्वारा दीपावली के पूर्व नवरात्रि के दिनों से प्रारंभ होकर दीपावली तक गांव के प्रत्येक द्वार-द्वार जा कर गाये जाने वाले गीतों को घडलियो कहते है। जिस घर के बाहर घडलियो गाया जाता है उस घर वाले इन बालिकाओं को आदि उपहार देते हैं। बालिकाओं में एक बालिका के सिर पर मिट्टी का छेद वाला छोटा घड़ा रखती है जिसमें दीपक जला होता है, इसे ही घडलिया कहते है। |
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