Super Exam General Studies Architecture / वास्तु-कला Question Bank मध्यकालीन भारत की क्षेत्रीय स्थापत्य शैलियां (स्थापत्य कला भाग 6)

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    मध्य प्रदेश में किस किले को, “किलो का रत्न” कहा जाता है?

    A) ओरछा किला

    B) रायसेन किला

    C) असीरगढ़ किला

    D) ग्वालियर किला

    Correct Answer: D

    Solution :

    उत्तर - ग्वालियर किला
    व्याख्या - ग्वालियर का किला पूर्व का जिब्राल्टर तथा किलों का रत्न कहा जाता है । यह किला गोपांचल नामक पर्वत पर स्थित है। यह वास्तु कला तथा मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूनो में से एक है। भारत के इतिहास में इस किले का बहुत अधिक महत्व रहा है । किले को “हिंद के किलो का मोती” भी कहा गया है।
    विशेष - इस किले की ऊंचाई 35 मीटर है। यह किला करीब 10वीं शताब्दी से अस्तित्व में है। लेकिन, इस किले में जो किला परिसर है उसके अंदर मिले शिलालेख और स्मारक इस बात का संकेत देते हैं कि ऐसा भी हो सकता है कि यह किला 6 वीं शताब्दी की शुरुआत में अस्तित्व में रहा हो। इस किले के इतिहास के अनुसार इसे विभिन्न शासकों द्वारा नियंत्रित किया गया है।
    टिप्पणी -
    ग्वालियर के किले को भारत का जिब्राल्टर भी कहा जाता है।
    किले के इतिहास दो भागो में बंटा हुआ है जिसमें एक हिस्सा मान मंदिर पैलेस और दूसरा एक गुर्जरा महल है।
    इसमें एक चतुर्भुज मंदिर है जो भगवान् विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर को 875 ईस्वी में बनवाया  गया था। इस मंदिर का संबंध तेली के मंदिर से है। प्राप्त दस्तावेज की माने तो 15 वी शताब्दी से पहले ग्वालियर पर कछवाह, पाल वंश, प्रतिहार शासकों, तुर्क शासकों, तोमर शासकों जैसे राजवंशों का शासन किया था।
    विशेष -
    इस किले के दो मुख्य महल है-
    एक गुजरी महल और दूसरा मान मंदिर हैं। इन दोनों को मान सिंह तोमर (शासनकाल 1486-1516 ईस्वी) में बनवाया था। गुजरी महल को रानी मृगनयनी के लिए बनवाया गया था। दुनिया में “शून्य” का दूसरा सबसे पुराना रिकॉर्ड इस मंदिर में पाया गया है। जो इस किले के शीर्ष रास्ते पर मिलता है। इसके शिलालेख लगभग 1500 साल पुराने हैं।


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