मुगल स्थापत्य के संदर्भ में निम्न कथनों में विचार करें - |
1. मुगल काल में पहली बार पत्थर के अलावा प्लास्टर एवं पच्चीकारी का प्रयोग किया गया। |
2. मुगल काल इंडो इस्लामिक स्थापत्य कला शैली की पराकाष्टा का युग मन जाता है। |
3. इस्लाम ने भारतीय वास्तुकला शैली में व्यापक प्रभाव डाला। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें |
A) 1 और 2
B) 2 और 3
C) 1 और 3
D) सभी कथन सत्य हैं।
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर [d] सभी कथन सत्य हैं। |
व्याख्या - मध्य काल में भारतीय स्थापत्य कला का विकास वस्तुत: हिन्दू और मुस्लिम दोनों जातियों की सम्मिलित प्रतिभा के कारण हुआ। कुछ विद्वानों ने मध्य कालीन स्थापत्य कला शेली को पठान, सौरसैनिक अथवा इस्लामिक शैली के नाम से पुकारा है, जो युक्तिसंगत नहÈ है। वस्तुत: इस शैली को इंडो इस्लामिक शैली की संज्ञा से विभूषित करना ही उपयुक्त होगा क्योंकि इसमें हम भारतीय तथा इस्लामिक दोनों शैलियों का सुंदर समन्वय पाते हैं। |
· भारत में पहले से ही कही अधिक उन्नत ब्राह्मण, जैन, बोद्ध स्थापत्य शैलियों प्रचलित थी। उल्लेखनीय है कि । जिस शैली को हम इन्डो इस्लामी शैली के नाम से जानते है व: वास्तव में भारतीय एवं इस्लामिक शैलियों का सम्मिश्रण ही हैं। मुगल काल इंडो इस्लामिक स्थापत्य कला शैली की पराकाष्टा का युग मन जाता है। |
· मुगल स्थापत्य कला में फारस, तुर्की, मध्य एशिया, गुजरात, बंगाल, जोनपुर आदि स्थानों की शैलियों का अनोखा मिश्रण हुआ था। मुगल काल में पहली बार पत्थर के अलावा प्लास्टर एवम पच्चीकारी का प्रयोग किया गया। |
· इस्लामी एवं भारतीय शैलियों ने एक - दूसरे पर व्यापक प्रभाव डाला। |
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