निम्नलिखित चार स्थानों में हुई बौद्ध संगीतियों का सही कालक्रम नीचे दिए हुए कूट से ज्ञात करें (UPPSC 2002) |
1. वैशाली |
2. राजगृह |
3. कुंडलवन |
4. पाटलिपुत्र |
A) 1, 2, 3, 4
B) 2, 1, 3, 4
C) 4, 3, 2, 1
D) 2, 1, 4, 3
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर-2, 1, 4, 3 | ||||||||||||||||||||||||||||||
व्याख्या - संगीति का अर्थ है साथ-साथ गाना। हलांकि इन्हें सम्मलेन या कांफ्रेंस (बवदमितमदबम) भी कहा जा सकता है। महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण के कुछ समय बाद से ही उनके उपदेशों को संगृहीत करने, उनका पाठ (वाचन) करने आदि के उद्देश्य से संगीति की प्रथा प्रारम्भ हुई। इन्हें धम्म संगीति अथवा धर्म संगीति कहा जाता है। | ||||||||||||||||||||||||||||||
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विशेष - विगत वर्षों के नवीनतम शोधों से पांचवी और छठी बौद्ध संगीति की जानकारी भी प्राप्त हुई है। हलाकि अभी NCERT पुस्तकों में इसका विवरण नही दिया गया है। | ||||||||||||||||||||||||||||||
· पांचवीं बौद्ध संगीति राजा मिंडन के संरक्षण के तहत साल 1871 में मांडले, बर्मा में आयोजित की गयी थी। इसकी अध्यक्षता सुमंगलासामी द्वारा की गयी थी | ||||||||||||||||||||||||||||||
· छठी बौद्ध संगीति का आयोजन वर्ष 1954 में बर्मा के काबाऐ, यगून में किया गया था। इसका आयोजन बर्मा की सरकार के संरक्षण के तहत हुआ था और इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री यूनू द्वारा की गयी थी। |
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