Super Exam General Studies Martial Arts and Sports / मार्शल आर्ट्स एवं खेल Question Bank भारतीय युद्ध कला एवं खेल

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    बौद्ध धर्म के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार करें -
    1. बौद् धर्म मे चार आर्य सत्य की मान्यता है।
    2. दुख निवारण हेतु अष्टांगिक मार्ग की अवधारणा है।
    3. अष्टांगिक मार्ग को तीन भागों में विभाजित किया गया है। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें

    A) 1 और 2                   

    B) 2 और 3

    C) 1 और 3                   

    D) 1, 2 और 3

    Correct Answer: D

    Solution :

    उत्तर - 1, 2 और 3
    व्याख्या - बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है। इसके संस्थापक भगवान बुद्ध, शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे। बौद्ध धर्म मे चार आर्य सत्य की मान्यता है -
    · दु:ख - संसार में दुख ही दुख है। जन्म दुख है, जरा दुख है, व्याधि दुख है, मृत्यु दुख है, अप्रिय का मिलना दुख है, प्रिय का बिछुड़ना दुख है, इच्छित वस्तु का न मिलना दुख है। यह दुख नामक आर्य सत्य परिज्ञेय है।
    · दुख समुदाय - दुख समुदय नाम का दूसरा आर्य सत्य तृष्णा है, जो पुनुर्मवादि दुख का मूल कारण है। यह तृष्णा राग के साथ उत्पन्न हुई है।
    · दुख निरोध - तीसरा आर्य सत्य दुख निरोध है। यह प्रतिसर्गमुक्त और अनालय है। तृष्णा का निरोध करने से निर्वाण की प्राप्ति होती है।
    · दुख निरोध मार्ग (गामिनी)- चौथा आर्य सत्य दुख निरोधगामिनी प्रतिपदा. है। यह दुख निरोधगामिनी प्रतिपदा नामक आर्य सत्य भावना करने योग्य है। इसी आर्य सत्य को अष्टांगिक मार्ग कहते हैं। दुख का निरोध इसी अष्टांगिक मार्ग पर चलने से होता है। अष्टांगिक मार्ग निम्नलिखित हैं :
    1. सम्यक दृष्टि,
    2. सम्यक संकल्प,
    3. सम्यक वचन,
    4. सम्यक कर्मात,
    5. सम्यक आजीव,
    6. सम्यक व्यायाम,
    7. सम्यक स्मृति,
    8. सम्यक समाधि। इन 8 अंगों को तीन भागों में विभाजित किया गया है प्रज्ञा-(सम्यक दृष्टि,सम्यक संकल्प, सम्यक वाक) शील- (सम्यक कर्मात, सम्यक आजीविका) समाधि- (सम्यक व्यायाम, सम्यक समाधि, सम्यक स्मृति)


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