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    ईसाई धर्म के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार करें -
    1. कैथोलिक वैटिकन नगर के पोप को अपना धर्माध्यक्ष मानते
    2. प्रोटेस्टेंट संप्रदाय का बाइबल में विश्वास नहीं है।
    3. ऑर्थोडॉक्स पोप की सत्ता को अस्वीकार करते है। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें

    A) 1 और 2                   

    B) 2 और 3

    C) 1 और 3

    D) 12 और 3

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर - 1 और 3
    व्याख्या - कथन 2 असत्य है जबकि शेष कथन सत्य है। वस्तुत: प्रोटैस्टैंट समुदाय की पूरी तरह से पवित्र बाइबल में श्रद्धा रखते हैं। कैथोलिक, प्रोटैस्टैंट, आर्थोडोक्स, मॉरोनी, एवनजीलक आदि ईसाई धर्म के सम्प्रदाय है। ईसाई धर्म के प्रमुख संप्रदाय
    · कैथोलिक - ईसाई धर्म में कैथोलिक ईसाई एक मुख्य शाखा है। इस शाखा के अनुयायी रोम के वैटिकन नगर के पोप को अपना धर्माध्यक्ष (गुरु) मानते हैं। रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्म गुरु को पोप कहते हैं। ‘पोप’ का शाब्दिक अर्थ ‘पिता’ होता है। इनको ‘होली फादर’ भी कहा जाता है।
    · प्रोटेस्टेंट संप्रदाय - यह भी ईसाई धर्म की एक शाखा है। इसका उदय सोलहवीं शताब्दी में हुया था। यह शाखा “कैथोलिक ईसाई धर्म शाखा” का विरोध करती है। यह उनके विरुद्ध है। इस शाखा के लोग धर्मशास्त्र बाईबल को ही सत्य मानते है और इसी में इनकी श्रद्धा है। इस शाखा के अंतर्गत लूथरन, कैलविनिस्ट, एंग्लिकन, बैप्टिस्ट और मेथोडिस्ट पांच संप्रदाय आते है।
    · ऑर्थोडॉक्स - यह भी ईसाई धर्म के प्रमुख तीन सम्प्रदायों में से एक है। 11वीं सदी तक यह सम्प्रदाय पश्चिम में लैटिन, और पूर्व में ग्रीक तक यह था। इस संप्रदाय के लोग भी पश्चिमी कैथोलिक से अलग हो गए तथा पोप की सत्ता को अस्वीकार करते है।
    टिप्पणी - ईसाई लोग ईश्वर को ‘पिता’ और ईसा मसीह को ‘ईश्वर पुत्र‘ मानते हैं। ईश्वर, ईश्वर पुत्र और पवित्र आत्माये तीनों ईसाई ट्रिनीटी (त्रिमूर्ति) माने जाते हैं।
    नोट - ईसाई धर्म के मूल सिद्धांत
    · ईसाई धर्म के अनुयायी मूर्तिपूजा में विश्वास नहीं रखते माना है।
    · ईसाई धर्म में किसी भी प्रकार की हत्या करना पाप माना जाता है।
    · किसी के साथ अच्छे तरीके से आचरण न करके उसको बुरा-भला कहना, उसको सम्मान न देना भी ईसाई धर्म में पाप की श्रेणी में आता है।
    · इस संसार में निवास करने वाले किसी भी प्राणी को व्यर्थ आघात पहुंचाना भी इस धर्म के अनुसार पाप की श्रेणी में आता है।


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