बौद्ध के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार करें - |
1. हीनयान सम्प्रदाय के अनुयायियों का मुख्य लक्ष्य अर्हत पद की प्राप्ति था। |
2. महायान बोधिसत्व में विश्वास करते थे। |
3. वज्रयान सम्प्रदाय पश्चिमी भारत में प्रचलित हुआ। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें |
A) 1 और 2
B) 2 और 3
C) 1 और 3
D) 1, 2 और 3
Correct Answer: A
Solution :
उत्तर - 1 और 2 |
व्याख्या - बौद्ध धर्म में तीन सम्प्रदाय हीनयान, महायान एवं वज्रयान है। कुषाण काल में बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों हीनयान एवं महायान में विभाजित हो गया। |
· हीनयान का अर्थ है - निकृष्ट या निम्न मार्ग। हीनयान सम्प्रदाय के अनुयायियों का मुख्य लक्ष्य बुद्धत्व न होकर अर्हत पद की प्राप्ति था। हीनयान एक रूढिवादी समूह था। बुद्ध की शिक्षाओं का सख्ती से पालन करना होता था हीनयान व्यक्तिगत मोक्ष पर जोर देता था। ये लोग चिक्को द्वारा पूजा किया करते थे। मूर्ति पूजा की आज्ञा नहीं थी। यह संप्रदाय मुख्यत: मगध, श्रीलंका एवं बर्मा में प्रसिद्ध था। |
· महायान एक व्यापक दृष्टिकोण वाला संप्रदाय था। यह बुद्ध अर्द्ध - परमात्मा की पहचान पर विश्वास करता था जिसे बोधिसत्व कहा गया है। ये लोग मूर्ति द्वारा बुद्ध की पूजा करने लगे थे। यह समुदाय समूह-मोक्ष पर बल देता था। |
· वज्रयान सम्प्रदाय अलौकिक शक्तियों चमत्कार, तंत्र-मंत्र आदि में विश्वास करता था। यह 9वीं -10वीं शताब्दी ईसवी के दौरान पूर्वी भारत में प्रचलित हुआ। |
विशेष - |
· हीनयान सम्प्रदाय के लोग पाली भाषा का प्रयोग करते थे, जबकि महायान सम्प्रदाय के लोग संस्कृत भाषा का प्रयोग करते थे। |
· महायान सम्प्रदाय के अनुयायीयों ने संस्कृत में शास्त्र लिखे जिन्हे वैपुल्यसुत्र कहा जाता है। |
· कनिष्क बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय का समर्थक था। |
· ललित विस्तार महायान सम्प्रदाय का ग्रन्थ है। इसमें |
· महात्मा बुद्ध के जीवन का उल्लेख मिलता है। |
· पलास वज्रयान संप्रदाय का अनुयायी था। |
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