A) अहिंसा
B) वेदों के प्रति उदासीनता
C) आत्मदमन
D) रीति-रिवाजों की अस्वीकृति
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर - आत्मदमन |
व्याख्या - वेदों की प्रमाणिकता के प्रति अनास्था, कर्मकांडों की निषेध एवं प्राणियों की हिंसा का निषेध दोनों धर्मों में किया गया है जबकि तप अर्थात आत्मदमन और भोग की अति का परिहार एवं मध्यम मार्ग का अनुसरण केवल बौद्ध धर्म में किया गया था, जैन धर्म में नहीं किया गया। |
टिप्पणी - बौद्ध धर्म और जैन धर्म में असमानताएं - |
जैन धर्म में अहिंसा के नकारात्मक स्वरूप पर अधिक बल दिया गया है जबकि बौद्ध धर्म में अहिंसा के सकारात्मक स्वरूप पर अत्यधिक बल दिया गया है। जैन धर्म वनस्पति, पत्थर और जल में भी आत्मा अथवा जीव का निवास स्वीकार करता है, जबकि बौद्ध धर्म इसे स्वीकार नहीं करता। जैन धर्म में कठोर तप और त्याग पर अधिक बल दिया गया है, जबकि बौद्ध धर्म निर्वाण प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग को स्वीकार करता है। जाति भेद का विरोध जैन धर्म की तुलना में बौद्ध धर्म ने अधिक किया। जैन धर्म भारत से बाहर नहीं फैला जबकि बौद्ध धर्म विदेशों में भी फैला और एक समय में संपूर्ण भारत का प्रमुख धर्म बन गया। |
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