Super Exam General Studies Architecture / वास्तु-कला Question Bank बौद्ध वास्तुकला / मौर्य वास्तुकला (स्थापत्य कला भाग 2)

  • question_answer
    सांची का स्तुप का संबंध किस काल से है?

    A) मौर्य काल

    B) मौर्योत्तर काल

    C) a एवं b दोनों

    D) गुप्त काल

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर - a एवं b दोनों
    व्याख्या - मध्य प्रदेश के विदिशा जिले (पूर्व नाम काकनाड) में चेतीय गिरी पर्वत पर सांची के स्तूप का निर्माण हुआ है। सांची में तीन स्तूप हैं जिन्हें क्रमश स्तूप - I स्तूप - II और स्तूप - III कहते हैं। स्तूप - I - मौर्य काल से संबंधित है। स्तूप - II और स्तूप - III का संबंध मौर्योत्तर काल से है।
    टिप्पणी - मौर्य और मौर्योत्तर काल से संबंध रहने के कारण स्तूप निर्माण में विकास क्रम के दर्शन स्पष्ट रूप से होते हैं।
    मौर्यकालीन स्तूप में रेलिंग नहीं है। मौर्योत्तर काल स्तूप में रेलिंग का निर्माण हो गया है। मौर्यकालीन स्तूप के तोरण द्वार में लकड़ी का इस्तेमाल हुआ है जबकि मौर्योत्तर कालीन स्तूप में पत्थर का इस्तेमाल हुआ है।
    विशेष - सांची के स्तूप की प्रमुख विशेषता यह है कि इसकी वेदिका पर कोई अलंकरण नहीं है अत: सादगी ही इसकी प्रमुख विशेषता मानी जाती है। सांची के स्तूप से जो पेटीका मिली है, उस पेटीका में एक सूची है और इसमें उन लोगों के नाम दर्ज हैं जिन्हें अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भेजा था। स्तूप में जो राख और अस्थि अवशेष मिले हैं वह सारीपुत्र और महात्मा बुद्ध के शिष्य महामोग्लयन के माने जाते हैं।


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