Super Exam General Studies Architecture / वास्तु-कला Question Bank प्राचीन भारत / पूर्व मध्यकालीन भारत की क्षेत्रीय स्थापत्य शैलियां (स्थापत्य कला भाग 3)

  • question_answer
    सूची-I को सूची-II के साथ सुमेलित करेन एवं निम्न दिए हुए कूट में से सही उत्तर का चयन करें
      सूची-I सूची-II
    A. महेंद्रवर्मन शैली (800-900 ईसवी)
    B. मामल्ल शैली (674-800 ईसवी)
    C. राजसिंह शैली (640-674 ईसवी)
    D. अपराजित शैली (610-640 ईसवी)
    कूट:

    A) A-4, B-3, C-2, D-1

    B)  A-2, B-4, C-1, D-3

    C)  A-3, B-2, C-1, D-4

    D)  A-4, B-1, C-2, D-3

    Correct Answer: A

    Solution :

    उत्तर - 4 3 2 1
    व्याख्या - दक्षिण भारत के इतिहास में पल्लव काल प्राचीन काल से मध्यकाल की ओर संक्रमण का प्रतीक है। यह काल परवर्ती गुप्तकाल का समकालीन है। तीन शताब्दियों के शासन के दौरान पल्लव शासकों ने मुख्यत: दो प्रकार की शैलियों में मंदिरों का निर्माण करवाया; वह है शैलकर्त्तन अर्थात पत्थरों को तराश कर और संरचनात्मक विधि। लेकिन अध्ययन की सुविधा के लिए राजाओं के शासन के दौरान बने मंदिरों के आधार पर इन्हें चार शैलियों में विभाजित किया जाता है
    महेंद्रवर्मन शैली - (610-640 ईसवी)
    मामल्ल शैली - (640-674 ईसवी)
    राजसिंह शैली - (674-800 ईसवी)
    अपराजित शैली - (800-900 ईसवी)
    विशेष - प्रथम दो शैली पत्थरों के तराश पर आधारित है और अंतिम दो संरचनात्मक भवन के उदाहरण है।


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