Super Exam General Studies Architecture / वास्तु-कला Question Bank प्राचीन भारत / पूर्व मध्यकालीन भारत की क्षेत्रीय स्थापत्य शैलियां (स्थापत्य कला भाग 3)

  • question_answer
    नन्दीवर्मन और राजसिंह शैली के संदर्भ में निम्न कथनों में विचार करें -
    1. इस शैली के अंतर्गत अपेक्षाकृत छोटे मंदिरों का निर्माण हुआ।
    2. कांची के मंदिर इस शैली के प्राचीनतम नमूने है।
    3. राजसिंह शैली के मंदिरों के जन्मदाता नरसिंहवर्मन द्वितीय थे। उपरोक्त में से “सत्य” कथनों का चुनाव करें

    A) केवल 1

    B)  केवल 2

    C)  केवल 3

    D)  सभी सत्य हैं

    Correct Answer: D

    Solution :

    उत्तर -  सभी सत्य हैं
    व्याख्या - नन्दीवर्मन शैली के अंतर्गत अपेक्षाकृत छोटे मंदिरों का निर्माण हुआ। इसके उदाहरण कांची के मुक्तेश्वर मंदिर एवं मातंगेश्वर मंदिर, ओरगड्डम का बड़मलिश्वर मंदिर, तिरुतैन का बिरट्टानेश्वर मंदिर, गुद्दीमल्लम का परशुरामेश्वर मंदिर आदि है। कांची के मंदिर इस शैली के प्राचीनतम नमुने है। इनमें प्रवेश द्वार पर स्तम्भयुक्त मंडप बने हुए है। इसके बाद वाले मंदिर चोल मंदिरों के पूर्ववर्ती रूप कहे जा सकते है।
    टिप्पणी - राजसिंह शैली के मंदिरों का जन्मदाता नरसिंहवर्मन द्वितीय थे। इसके अंतर्गत पत्थरों और र्इंटों की मदद से बड़े-बड़े इमारतें बनवायी गयी। इस शैली के मंदिरों मेसे महाबलीपुरम से प्राप्त होते है। ये मंदिर है-शोर मंदिर (जिसे तटीय मंदिर भी कहा जाता है) ईश्वर मंदिर और मुकुंद मंदिर। शोर मंदिर इस स्थापत्य का पहला उदाहरण हैं इसके अलावे उतरी. अर्काट मंदिर, कांची का कैलाशनाथ मंदिर तथा वैकुण्ठ पेरुमल मंदिर उल्लेखनीय है। महाबलीपुरम का शोर मंदिर पल्लव कारीगरों के अदभूत कलाकारी का नमूना है। मंदिर का निर्माण एक विशाल प्रांगण में हुआ है जिसका प्रवेश द्वार पश्चिम की ओर है। गर्भगृह समुद्र की ओर है तथा इसके चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है।


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