कवकमूलीय (mycorrhizal) जैव प्रौद्योगिकी को निम्नीकृत स्थलों के पुनर्वासन में उपयोग में लाया गया है, क्योंकि कवकमूल के द्वारा पौधों मे- (UPSC 2013) |
1. सूखे का प्रतिरोध करने एवं अवशोषण क्षेत्र बढ़ाने की क्षमता आ जाती है। |
2. PH की अतिसीमाओं को सहन करने की क्षमता आ जाती है। |
3. रोगग्रस्तता से प्रतिरोध की क्षमता आ जाती है। |
कूट: |
A) केवल 1
B) 1 और 3
C) 2 और 3
D) ये सभी
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर - ये सभी |
व्याख्या - वर्तमान समय में जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से माइकोराइजल का प्रयोग व्यापक स्तर पर किया जाता है। इसमें सहजीविता का गुण रहता है, जिसमें कवक ( Fungi) तथा संवहनी पेड़ों की जड़ों की बीच पारस्परिक क्रिया होती है। इसके द्वारा पौधों में सूखे .का प्रतिरोध करने एवं अवशोषण क्षेत्र बढ़ाने की क्षमता विकसित होती है। इसके अलावा पौधे में PH की अतिसीमाओं को सहन करने की क्षमता आ. जाती है। जिससे पौधों में रोगों से सुरक्षा हेतु प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। |
टिप्पणी - उच्च पादपों की जड़ों तथा कवकों के बीच सहजीवी संबंधों को माइकोराइजा कहते हैं। अधिकतर कवक विषमपोषी होते हैं तथा मृत आधार से विलेय कार्बनिक द्रव्यों को अवशोषित करते हैं जिन्हें मृतोजीवी कहते हैं। वह कवक जो जीवित पादप एवं प्राणियों पर निर्भर होते हैं वह परजीवी कहलाते हैं। |
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