Super Exam History Gandhi era Question Bank गाँधी युग

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    सत्याग्रह की गांधीवादी रणनीति के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये
    1. गांधीवादी रणनीति, जिसे संघर्ष-युद्धविराम-संघर्ष के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है, के अंतर्गत प्रबल विधि-बाह्य जन-आंदोलन और औपनिवेशिक सत्ता के साथ मुकाबले के चरण ऐसे चरणों के साथ एकान्तर से आते हैं, जिनके दौरान प्रत्यक्ष मुकाबले से बचा जाता है।
    2. संघर्ष-युद्धविराम-संघर्ष की सम्पूर्ण राजनैतिक प्रक्रिया उद्धर्वगामी घुमावदार थी जिसका यह मानना भी था कि स्वतंत्रता संग्राम अनेक अवस्थाओं से गुजरते हुए औपनिवेशिक शासन द्वारा स्वयं ही सत्ता के हस्तांतरण पर समाप्त होगा।
    उपरोक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?

    A) केवल 1

    B) केवल 2

    C) 1 और 2 दोनों

    D) न तो 1 और न ही 2

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर - 1 और 2 दोनों
    व्याख्या - गांधीवादी दर्शन न केवल राजनैतिक, नैतिक और धार्मिक है, बल्कि पारंपरिक और आधुनिक तथा सरल एवं जटिल भी है। यह कर्इ पश्चिमी प्रभावों का प्रतीक है, जिनको गांधीजी ने उजागर किया था, लेकिन यह प्राचीन भारतीय संस्कृति में निहित है तथा सार्वभौमिक नैतिक और धार्मिक सिद्धांतों का पालन करता है। यह दर्शन कर्इ स्तरों आध्यात्मिक या धार्मिक, नैतिक, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, व्यक्तिगत और सामूहिक आदि पर मौजूद ळें
    टिप्पणी - गांधीवादी रणनीति, जिसे संघर्ष-युद्धविराम-संघर्ष के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है, के अंतर्गत प्रबल विधि-बाह्य जन-आंदोलन और औपनिवेशिक सत्ता के साथ मुकाबले के चरण ऐसे चरणों के साथ एक - एक कर आते हैं जिनके दौरान प्रत्यक्ष मुकाबले से बचा जाता है। संघर्ष-युद्धविराम-संघर्ष की सम्पूर्ण राजनैतिक प्रक्रिया उद्धर्वगामी घुमावदार थी जिसका यह मानना भी था कि स्वतंत्रता संग्राम अनेक अवस्थाओं से गुजरते हुए औपनिवेशिक शासन द्वारा स्वयं ही सत्ता के हस्तांतरण पर समाप्त होगा।


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