A) सल्फर डाइ ऑक्साइड
B) नाइट्रिक हाइड्रॉक्साइड
C) अमोनिया
D) कार्बन मोनोक्साइड
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर- अमोनिया |
व्याख्या - अमोनिया (\[N{{H}_{3}}\]) के जलीय घोल में लाल लिटमस नीला हो जाता है। अमोनिया हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की प्रतिक्रिया से सफेद धूम्र उत्पन्न करती है। |
टिप्पणी - लुर्इस की अम्ल-क्षार संकल्पना - |
(i) वे पदार्थ जो इलेक्ट्रॉन-युग्म (Electron Pair) ग्रहण करते है, अम्ल कहलाते हैं, तथा वे पदार्थ जो इलेक्ट्रॉन-युग्म प्रदान करते हैं, क्षार कहलाते हैं। अत: अम्ल, इलेक्ट्रॉन-युग्म ग्राही (\[{{e}^{-}}\]Pair acceptor) तथा क्षार, इलेक्ट्रॉन-युग्म दाता (\[{{e}^{-}}\]Pair Donar) होते हैं। |
उदाहरण- \[{{H}_{3}}N:(\{kkj)+B{{F}_{3}}(vEy)\to \left[ {{H}_{3}}N\to B{{F}_{3}} \right]\] |
(ii) सभी धनायन, लुर्इस अम्ल तथा सभी ऋणायन, लुर्इस क्षार की तरह व्यवहार करते हैं, लेकिन कुछ धनायन तथा ऋणायन उभयधर्मी की तरह व्यवहार करते हैं। |
उदाहरण- \[Al{{(OH)}_{2}}^{+}\,,Al{{(OH)}^{2+}},H{{S}^{-}},{{H}_{2}}P{{O}_{4}}^{-},\] आदि उभयधर्मी हैं। |
केन्द्रीय परमाणु पर नाभिकीय आवेश का मान अधिक होने पर अम्लीय प्रबलता अधिक होगी। उदाहरण- \[MgC{{l}_{2}}<BeC{{l}_{2}}\] |
केन्द्रीय परमाणु के साथ जुड़े विद्युत ऋणात्मक तत्वों को संख्या जितनी ज्यादा होगी तथा विद्युत ऋणात्मकता जितना। ज्यादा होगी, अम्लीय प्रबलता भी उतनी ज्यादा होगी। |
उदाहरण- \[S{{O}_{2}}<S{{O}_{3}}\]बोरॉन के हैलाइडों का अम्लीय प्रबलता का क्रम (\[B{{F}_{3}}<BC{{l}_{3}}<BB{{r}_{3}}<B{{l}_{3}}\]) होता है तथा इसको पश्च बांधा (Black - bonding) के आधार पर समझाया जा सकता है। लुर्इसा क्षारों में केन्द्रीय परमाणु पर जितना ज्यादा आंशिक धनावेश होता है। उसकी इलेक्ट्रॉन प्रदान करने की प्रवृत्ति उतनी ही कम होती है, अर्थात वह उतना ही दुर्बल क्षार होगा। |
उदाहरण- \[N{{F}_{3}}<NC{{l}_{3}}<NB{{r}_{3}}\] |
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