A) R.B.Cs.
B) W.B.Cs.
C) रक्त प्लाज्मा
D) हीमोग्लोबिन
Correct Answer: B
Solution :
उत्तर - W.B.Cs. |
व्याख्या - श्वेत रक्त कणिकायें (W.B.Cs) - ये आकार में लाल रक्त कणिकाओं से बड़ी होती हैं। ये अनियमित आकार की अर्थात अमीबीय प्रकृति वाली तथा कम संख्या में रक्त में पार्इ जाती हैं। ये हीमोग्लोबिन की अनुपस्थिति के कारण रंगहीन श्वेत होती है जिसके कारण इन्हें अवर्णी कोशिकाएं (Leukocyte) भी कहते है। ये केन्द्रक युक्त होती हैं। अनियमित आकार के होने के कारण ये है। सरलतापूर्वक पतले आकृतियों में रूपान्तरित होकर रुधिर वाहिकाओं की कोशिकाओं के अंतराकोशिकीय अवकाशों से बाहर आकर आस-पास के ऊतकों में परिवहन करती हैं। इस लक्षण को कोशिकापारण (Diapedesis) कहते है। मानव रक्त के प्रति घन मि.मी. रुधिर में 6000-8000 की संख्या में श्वेत रक्त कणिकायें पायी जाती हैं। |
श्वेत रक्त कणिकाओं के कार्य- |
i. रोगाणुओं का भक्षण-शरीर के किसी रोग से संक्रमित होने पर उस विशेष संक्रमित स्थल पर पहुंच कर हानिकारक जीवाणुओं, विषाणुओं कवकों (Fungi) इत्यादि का भक्षण करके शरीर को संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करती हैं। |
ii. इनकी कोशिकाओं द्वारा एंटीबॉडीज का निर्माण। |
iii एंटीहिस्टामिन का निर्माण-एलर्जी तथा अति संवेदनशीलता की स्थिति में महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। |
iv. क्षतिग्रस्त कोशिकाओं का भक्षण। |
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