A) जैमिनी
B) निम्बकाचार्य
C) बादरायण
D) कपिल
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर - बादरायण |
व्याख्या - उत्तरमीमांसा छ: भारतीय दर्शनों में से एक है जिसकी रचना बादरायण ने की थी। उत्तरमीमांसा को शारीरिक मीमांसा और वेदांतदर्शन भी कहते हैं। ये नाम बादरायण के ही बनाए हुए ब्रह्मसूत्र नामक ग्रंथ के हैं। उत्तरमीमांसा में केवल वेद (आरण्यकों और उपनिषदों के) वाक्यों के अर्थ का निरूपण और समन्वय ही नहीं है, उसमें जीव, जगत् और ब्रह्म संबंधी दार्शनिक समस्याओं पर भी विचार किया गया है। एक सर्वागीण दर्शन का निर्माण करके उसका युक्तियों द्वारा प्रतिपादन और उससे भिन्न मतवाले दर्शनों का खंडन भी किया गया है। दार्शनिक दृष्टि से यह भाग बहुत महत्वूपर्ण समझा जाता है। |
टिप्पणी - |
उत्तर मीमांसा शारीरिक मीमांसा भी कहलाता है क्योंकि इसमें शरीरधारी आत्मा के लिए उन साधनों और उपासनाओं का संकेत है, जिनके द्वारा वह अपने ब्रह्मत्व का अनुभव कर सकता है। इसका नाम वेदांतदर्शन इस कारण पड़ा कि इसमें वेद के अंतिम भाग के वाक्यों के विषयों का समन्वय किया गया है। |
इसका नाम ब्रह्ममीमांसा अथवा ब्रह्मसूत्र इस कारण पड़ा कि इसमें विशेष विषय ब्रह्म और उसके स्वरूप की मीमांसा है, जबकि पूर्वमीमांसा का विषय यज्ञ और धार्मिक कृत्य हैं। |
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