Super Exam General Studies Philosophical Trends in India / भारत में दार्शनिक प्रवृत्तियां Question Bank भारत में दार्शनिक प्रवृत्तियां

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    निम्न संत/दार्शनिकों के संदर्भ में विचार करें -
    1. कबीरदास यह रामानंद के गुरू थे।
    2. सूरदास ये वल्लभाचार्य के शिष्य थे।
    3. वल्लभाचार्य के भक्ति मार्ग को पुष्टिमार्ग कहा जाता है। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें

    A) 1 और 2                   

    B) 2 और 3

    C) 1 और 3                   

    D) 1, 2 और 3

    Correct Answer: B

    Solution :

    उत्तर - 2 और 3
    व्याख्या - कथन 1 असत्य है, शेष दोनों कथन सत्य हैं। वस्तुत: कबीरदास यह रामानंद के शिष्य थे। यह निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे। इन्होंने मूर्तिपूजा, कर्मकांड आदि सामाजिक-धार्मिक कुरीतियों का विरोध किया। इनके अनुयायी कबीरपंथी कहलाए। शुद्धाद्वैतवाद दर्शन का प्रतिपादन करने वाले वल्लभाचार्य के भक्ति मार्ग को पुष्टिमार्ग कहा जाता है। इनका जन्म छत्तीसगढ़ के चम्पारण में हुआ था। सूरदास ये वल्लभाचार्य के शिष्य थे। जो कि सगुण कृष्ण भक्ति शाखा के अनुयायी थे। इन्होने सूरसागर की रचना की।
    टिप्पणी - कबीरदास की वाणी का सार बीजक नामक ग्रन्थ में संकलित है। तुलसीदास ने अवधी में रामचरितमानस की रचना की तथा रामभक्ति को प्रसिद्धि दिलायी। विनयपत्रिका, दोहावली जानकीमंडल इनकी अन्य रचनाएं हैं।


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