Super Exam General Studies Philosophical Trends in India / भारत में दार्शनिक प्रवृत्तियां Question Bank भारत में दार्शनिक प्रवृत्तियां

  • question_answer
    वैशेषिक दर्शन के संबंध में निम्न कथनों पर विचार करें -
    1. वैशेषिक दर्शन, न्याय दर्शन के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
    2. विशेष पदार्थ से युक्त होने के कारण यह शास्त्र वैशेषिक कहलाता है।
    3. वैशेषिक दर्शन का परमाणुवाद सिद्धान्त प्रसिद्ध है। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें

    A) 1 और 2                   

    B) 2 और 3

    C) 1 और 3                   

    D) 1, 2 और 3

    Correct Answer: D

    Solution :

    उत्तर - 1, 2 और 3
    व्याख्या - भारतीय दर्शन-परंम्परा में न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा, वेदान्त प्रभृति छ: आस्तिक दर्शनों और चार्वाक, बौद्ध, जैन इन तीन नास्तिक दर्शनों का अपना-अपना स्थान व महत्व रहा है।
    वैशेषिक दर्शन, न्याय दर्शन के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।  यह दोनों ही दर्शन व्यावहारिक जगत् को वास्तविक मानते हैं। ये बाह्य जगत् तथा अंतर्जगत् की अवधारणा में परात्पर एवं घनिष्ठ संबंध मानते हैं। वैशेषिक दर्शन के मूल प्रवर्तक ऋषि कणाद हैं। ऋषि कणाद उलूक ऋषि के पुत्र माने जाते हैं। कणाद तथा उनके पिता उलूक ऋषि के नाम पर वैशेषिक दर्शन को कणाद या औलूक्य दर्शन भी कहते हैं। वैशेषिक का अर्थ है पदार्थों में भेदों का बोधक, और पदार्थ उसे कहते हैं जो प्रतीति से सिद्ध हो। विशेष नामक पदार्थ की विशिष्ट कल्पना करने के कारण इसको वैशेषिक संज्ञा प्राप्त हुई है। वैशेषिक दर्शन का परमाणु वाद सिद्धांत बहुत प्रसिद्ध है इसके अनुसार सबसे छोटा अणु अर्थात जिस से छोटा कोई पदार्थ नहीं है वह परमाणु है। परमाणु अविनाशी है अर्थात इसका विभाजन असंभव है और यह परमाणु ही जगत की सृष्टि एवं संहार का कारण बनते हैं। ईश्वर की इच्छा से इन परमाणुओं द्वारा विश्व की रचना होती है और जब यह परमाणु विभक्त होते हैं तो जगत में प्रलय भी आरंभ हो जाता है।


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