A) केशवदास
B) पद्माकर
C) माखनलाल चतुर्वेदी
D) बाणभट्ट
Correct Answer: A
Solution :
उत्तर - केशवदास |
व्याख्या - केशवदासजी हिंदी साहित्य के प्रथम आचार्य हैं। हिंदी में सर्वप्रथम उन्होंने ही काव्य के विभिन्न अंगों का शास्त्रीय पद्धति से विवेचन किया। उनके काव्य में भाव पक्ष की अपेक्षा कला पक्ष की प्रधानता है और पांडित्य प्रदर्शन के कारण उन्हें कठिन काव्य के प्रेत कह कर पुकारा जाता है। |
टिप्पणी - आचार्य रामचंद्र शुक्ल के शब्दों में केशव की रचना में सुर, तुलसी आदि की सी सरलता और तन्मयता चाहे न हो पर काव्यांगों का विस्तृत परिचय करा कर उन्होंने आगे के लिए मार्ग खोला। |
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