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    सुल्तानी युग में बौद्धों की कौन-सी शाखा सबसे प्रभावशाली थी?                                           (JKPSC 2013)

    A) थेरवाद                                      

    B) हीनयान

    C) वज्रयान                    

    D) तंत्रयान

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर-वज्रयान
    व्याख्या - वज्रयान (बज्रयान) महायान का ही विस्तार है। महायानियों ने बुद्ध धम्म को विकृत करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि महात्मा बुद्ध ने हमेशा अपने भिक्षुओं को नैतिक शिक्षा के साथ-साथ जादू- टोना, तंत्र, मंत्र, यन्त्र आदि अंध-विश्वासों से दूर रहने के उपदेश दिये। लेकिन महायानी “षड्यंत्रकारियों ने बुद्ध की शिक्षाओं के विपरीत आठवीं शताब्दी में महायान की एक शाखा वज्रयान के रूप में विकसित कर दी। इसमें जादू-टोना और तंत्र साधना का समावेश किया गया। तंत्र साधना में इन लोगों ने स्त्रियों का भी इस्तेमाल किया। इसी तन्त्र साधना पद्धति को वज्रयान (बज्रयान) कहते हैं। मध्यकाल में बौद्धों की वज्रयान शाखा सबसे अधिक प्रभावशाली थी। टिप्पणी - वज्रयान का सबसे अधिक विकास आठवीं शताब्दी में हुआ था तथा इसके सिद्धांत ‘मंजुश्रीमूलकल्प’ तथा ‘गुह्यमाज’ नामक ग्रंथों में मिलते हैं।


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