Super Exam Biology Sexual Reproduction in Flowering Plant / फूलों के पौधों में यौन प्रजनन Question Bank पुष्पीय पादपों में प्रजनन

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    निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन पौधों के कायिक प्रवर्द्धन के सम्बन्ध में सही है/हैं?             (UPSC 2014)
    1. कायिक प्रवर्द्धन क्लोनीय जनसंख्या को उत्पन्न करता है।
    2. कायिक प्रवर्द्धन विषाणुओं का निष्प्रभावन करने में सहायक हैं।
    3. कायिक प्रवर्द्धन वर्ष के अधिकांश समय चल सकता है।
    कूट:

    A) केवल 1                    

    B) 2 और 3

    C) 1 और 3    

    D)        ये सभी

    Correct Answer: D

    Solution :

    उत्तर - ये सभी
    व्याख्या - कायिक प्रवर्द्धन या वर्धि प्रजनन (Vegetative propogation) - यह पादप प्रजनन की वह विधि है, जिसमें पादप शरीर के वर्धि भाग (पुष्प को छोड़कर) का कोर्इ हिस्सा, अंग या कोशिका अथवा कोशिकाओं का समूह एक प्रसारक (Propagule) की तरह कार्य करता है तथा विकसित होकर एक नया सन्तति पौधा पैदा करता है।’’ इस प्रकार का प्रजनन आवृत्तबीजी पौधों में बहुतायत में होता है। उच्च पादपों में मुख्यतया आवृत्तबीजी पौधों में अलैंगिक जनन को प्राय: कायिक जनन या वर्धि जनन के नाम से जाना जाता है। कायिक प्रवर्द्धन द्वारा उत्पन्न संतति जीव, जिनमें गुणसूत्र संरचना समान होती है, इन्हें क्लोन कहते हैं तथा ये जिन कोशिकाओं से विकसित होते हैं, वे विषाणुओं के लिए अभेद्य हैं। इनसे विषाणुओं का प्रभाव समाप्त हो जाता है तथा यह प्रक्रिया वर्ष के अधिकांश समय में हो सकती है।
    विशेष - निम्नवर्गीय पौधों में यह विखण्डन (Fragmentation), मुकुलन (Budding), आदि के द्वारा होता है, परन्तु एंजियोस्पर्म पौधों में कायिक प्रजनन दो विधियों द्वारा होता है - प्राकृतिक कृत्रिम।
    प्राकृतिक कायिक जनन - इस प्रकार का जनन पौधों में प्राकृतिक रूप से विकसित होने वाली रचनाओं से या उसके कायिक भाग जैसे - जड़, पत्ती तथा तना से स्वत: नये पौधों को जन्म देते है। यह निम्नलिखित विधियों द्वारा होता है-
    1. जड़ों द्वारा - शकरकन्द (Sweet-potato), पॉप्युलस, सतावर (Asparagus), डहेलिया
    2. तना के द्वारा - वायवीय तनों द्वारा - अमरबेल (Cuscuttaa), गन्ना।
    अर्द्धवायवीय तनों द्वारा (By Sub & Aerial Stems) - उदाहरण - स्टोलॉन (Stolon) - वन गुलाब (Wild Rose), चमेली (Jasmine), स्ट्राबेरी (Fragaria) आदि। रनर (Runner) - दूबघास (Cynodon)। सकर (Sucker) - सेवन्ती (chrysanthemum), पुदीना (mint)। ऑफसेट - पिस्टिया, जलकुंभी (Water hyacinth)।
    भूमिगत तनों के द्वारा (by underground stems ) - प्रकन्द (Rhizome) - हल्दी (turmeric), अदरक (Ginger), आइरिस (Iris), लिली (Lilly) आदि। शल्ककन्द (Bulb) - प्याज (Onion), लहसुन (Garlic), रजनीगन्धा (Tuberose) स्तम्भकन्द (Tuber) - आलू।
    3. पत्तियों के द्वारा - ब्रायोफाइलम, बिग्नोनिया आदि।
    4. प्रकलिकाओं द्वारा (by bulbills) - ऐगेव, साइकस
    कृत्रिम कायिक जनन (Artificial Vegetative Propogation) - अलैंगिक रूप से पौधों के निर्माण की वह विधि जिसमें प्राकृतिक विशिष्ट अंग तो निर्मित नहीं होते बल्कि उपयोगिता एवं इच्छा के अनुरूप पादपों, शाखाओं, कलिकाओं का उपयोग कर उन्नत पादप किस्मो को बढ़ाया जाता है, कृत्रिम वध्र्ाी जनन या कृत्रिम-प्रसारण कहलाता है। इसकी निम्नांकित विधिया है-
    1. कर्त्तन द्वारा - गुलाब, गुड़हल (Chinarose), अंगूर, अनार, रातरानी इत्यादि।
    2. दाब लगाना (Layering) सेन, नाशपाती (Pear), स्ट्राबेरी, अमरूद (Guava), सन्तरा (Orange), काजू। गूटी निर्माण द्वारा वानस्पतिक प्रसारण अनार, काजू, अंजीर (Fig), संतरा, नीबू, अमरूद (Guava), कटहल, लीची।
    3. रोपण विधि द्वारा (By grafting) -चेरी, आम, नीबू, अमरूद, शरीफा (Custard Apple), अंगूर।
    4. कलिकायण द्वारा या चश्मायण द्वारा (By Budding) - पपीता, गुलाब (Rose), शरीफा (Custard Apple), आम, कटहल, अखरोट (Walnut)


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