विश्व में क्रषि एवं पशुपालन
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विश्व में कृषि एवं पशुपालन
विश्लेषणात्मक अवधारणा
एग्रीकल्चर’ लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना हैं, एग्रीकल्चर। जिसका शाब्दिक अर्थ है एग्री अर्थात ‘‘क्षेत्र‘‘, कल्चर अर्थात ‘खेती’ है। भूमि का एक टुकड़ा, या रोपण और उस पर खाद्य पौधों को उगाना, कृषि है। खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य पदाथोर्ं का उत्पादन करना, कृषि कहलाता है। सम्पूर्ण मानव जाति का अस्तित्व कृषि पर ही आश्रित है। हमारे जीवन की. मूलभूत आवश्यकता भोजन का निर्माण, कृषि के द्वारा ही संभव होता है। कृषि और व्यवसाय दो अलग-अलग धुरी है, लेकिन परस्पर संबंधित एवं एक-दूसरे के पूरक हैं, जिसमें कृषि संसाधनों के उपयोग से लेकर कटार्इ, कृषि उपज के प्रसंस्करण और विपणन तक उत्पादन का संगठन और प्रबंधन शामिल है।
- विश्व के कृषि प्रदेशों का वर्गीकरण डी. हिटलसी ने प्रस्तुत किया था।
- विश्व के कुल धरातल क्षेत्रफल का 11% भाग कृषि कायो में लगा है।
- गेहूं की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त है।
- मक्का की पेटी विश्व में अमेरिका में पायी जाती है।
- सर्वप्रथम मक्के की खेती मध्य अमेरिका में की गर्इ।
- हवार्इ द्वीप में गन्ने की खेती उत्तम होती है।
- चाय निर्यात के क्षेत्र में केन्या एवं श्रीलंका सबसे आगे है।
- विश्व प्रसिद्ध ‘उलंग किस्म की चाय’ ताइवान में पैदा होती है।
- कॉफी का उत्पादन विश्व में सबसे अधिक ब्राजील करता है।
- विश्व में कपास की खेती सबसे अधिक चीन में की जाती है।
- विश्व में सबसे बड़ा रबड़ उत्पादक देश थार्इलैंड है।
- दुग्ध उत्पादन में विश्व का प्रथम देश भारत है।
- ट्रांसजीनिक फसलों का सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन है।
- भारतीय कपास छोटे रेशे वाली की होती है।
- विश्व में सबसे अधिक जूट उत्पादक क्षेत्र गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टार्इ मैदान है।
- सर्वाधिक सघन खेती जापान में प्रचलित हैं।
- सीढ़ीनुमा कृषि पहाड़ों के ढलानों पर की जाती है।
- झूम खेती को स्थानांतरित खेती कहते हैं।