धार्मिक आंदोलन महाजनपद काल एवं भारत के शुरआती राजवंश
Category :
विश्लेषणात्मक अवधारणा
महाजनपद की शुरुआत 600 ई. पू. में होती है। इस काल मे छोटे-छोटे कबीलाई राज्यों के स्थान पर क्षेत्रीय राज्यों की स्थापना शुरू हुई। जिसका पूर्ण विकास 6वीं सदी ई. पू. तक हो जाता है।
महाजनपद काल के बारे में जानकारी सबसे पहले हमें सूत्र साहित्यों से मिलती है। वैदिक साहित्यों को आसानी से समझने के लिए उन्हें संक्षिप्त करने के लिए सूत्र साहित्य की रचना की गयी थी और यही सूत्र साहित्य वेदांग के नाम से जाने जाते हैं।
समाज तीन वर्गों में बंट गया ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य (शूद्र)। ब्राह्मण और क्षत्रियों को द्विज तथा शूद्रों को चांडाल कहा जाता था। समाज मे शूद्रों की स्थिति बड़ी ही दयनीय थी, उन्हें अस्पृश्य माना जाता था। शूद्र जाति को नगर से बाहर रखा जाता था और यहीं से ही अश्पृश्यता का दौर शुरू होता है जो वर्तमान भारत मे भी यदा-कदा देखने को मिलता है।
अंगुत्तर निकाय, महावस्तु (बौद्ध ग्रंथ)य भगवती सूत्र (जैन ग्रंथ) ये दोनों धर्म ग्रंथ 16 महाजनपदों का उल्लेख करते हैं।
महाजनपद काल (600 ई. पू. का भारतवर्ष)
महाजनपद काल प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाइयों को कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में भी इनका उल्लेख कई बार हुआ है।
महाजनपद काल को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे
सूत्रकाल/बुद्ध युगध्द्वितीयनगरीकरण की शुरुआत।
साहित्यिक स्रोत
I. देशी साहित्य II. विदेशी साहित्य
I. देशी साहित्य
बौद्ध धर्म - सुत्तपिटक, विनयपिटक, अंगुतर निकाय, महावस्तु।
जैन धर्म - भगवती सूत्र, कल्प सूत्र, औषाइयान, औपपाधिक सूत्र, आगम, आवश्यक चूर्णी
ब्राह्मण - वेदांग (शिक्षा, व्याकरण, ज्योतिष, निरुक्त, कल्प, छंद,), पुराण।
II. विदेशी साहित्य
हेरोडोटस की हिस्टोरिका
हिकेटियस की ज्योग्रोफी
नियार्कस का विवरण
सोलह महाजनपद और उनकी राजधानी तथा वर्तमान क्षेत्र
1. अंग - उत्तरी बिहार का आधुनिक मुंगेर तथा भागलपुर जिला इसके अंतर्गत आता था, इसकी राजधानी थी चम्पा। चम्पा का प्राचीन नाम मालिनी था। यहां का राजा ब्रह्मदत्त था,
बिम्बिसार ने अंग को जीतकर मगध साम्राज्य का हिस्सा बना लिया।
2. मगध - यह वर्तमान पटना और गया का क्षेत्र था। इसकी राजधानी गिरिब्रजध्राजगृह थी। यह सोलह महाजनपदों में सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्य था।
3. काशी - आधुनिक बनारस और उसके आसपास के क्षेत्रों को काशी महाजनपद कहा गया। इस महाजनपद की राजधानी वाराणसी थी। वाराणसी वरुणा एवं असी नदियों के मध्य स्थित है इसलिए इसका नाम वाराणसी पड़ा है।
काशी को अजातशत्रु के शासनकाल में मगध में मिला लिया गया।
4. कोसल - इसकी राजधानी श्रावस्तीध्अयोध्या थी। कोसल को भी मगध साम्राज्यवाद का शिकार बनना पड़ा।
5. वज्जि - वज्जि आठ जनों का संघ था। इनमें विदेह, लिच्छवि,
कत्रिक एवं वृज्जि महत्वपूर्ण थे। इसकी राजधानी विदेह एवं मिथिला थी। लिच्छवियों की राजधानी वैशाली थी, जो अपने समय का महत्वपूर्ण नगर था।
अजातशत्रु ने वज्जि को जीतकर मगध साम्राज्य का अंग बना लिया।
6. मल्ल - आधुनिक देवरिया एवं गोरखपुर क्षेत्र में स्थित मल्ल दो भागों में बंटा था, जिसमें एक की राजधानी कुशावती अथवा कुशीनगर एवं दूसरी की राजधानी पावापुरी थी। कुशीनारा में महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण (मृत्यु) एवं पावापुरी में महावीर को निर्वाण (मृत्यु) प्राप्त हुआ।
7. चेदि - इसकी राजधानी शक्तिमती थी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड वाला स्थान है।
8. वत्स - यमुना के किनारे स्थित वत्स महाजनपद आज का इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के आस-पास का क्षेत्र था। इसकी राजधानी कौशाम्बी थी
9. कुरु - वर्तमान दिल्ली, मेरठ और हरियाणा के कुछ क्षेत्र उस समय का कुरु महाजनपद था। इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ थी जिसका उल्लेख महाभारत में मिलता है।
10. पांचाल - यह वर्तमान बरेली, बदायूं, फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) का क्षेत्र था। गंगा नदी इस महाजनपद को दो भागों - उत्तरी पांचाल तथा दक्षिणी पांचाल में बांटती है। उतरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र तथा दक्षिणी पांचाल की राजधानी कांपिल्य थी। कान्यकुब्ज का प्रसिद्ध नगर इसी राज्य में स्थित था।
11. मत्स्य - वर्तमान जयपुर (राजस्थान) के आस-पास का क्षेत्र है वो सभी मत्स्य महाजनपद के अंतर्गत आते थे। इसकी राजधानी विराटनगर थी।
12. शूरसेन - शूरसेन महाजनपद का विस्तार आधुनिक मथुरा के आस-पास थी। इसकी राजधानी मथुरा थी।
13. अश्मक - दक्षिण भारत में गोदावरी नदी के तट पर बसा एकमात्र महाजनपद था। इसकी राजधानी प्रतिष्ठान थी।
14. अवन्ति - यह वर्तमान मालवा (मध्य प्रदेश) का क्षेत्र था। यह महाजनपद दो भागों- उत्तरी अवन्ति एवं दक्षिणी अवन्ति में विभाजित था। उत्तरी अवन्ति की राजधानी उज्जैन तथा दक्षिणी अवन्ति की राजधानी महिष्मति थी।
15. कम्बोज - यह वर्तमान में पाकिस्तान का हजारा जिला वाला क्षेत्र था। इसकी राजधानी हाटक थी।
16. गन्धार - यह वर्तमान में पाकिस्तान के रावलपिंडी और पेशावर के क्षेत्र थे। इसकी राजधानी तक्षशिला थी। यहीं तक्षशिला विश्वविद्यालय भी था।
भारत में शुरुआती राजवंश
हर्यक राजवंश (544-412 ई. पू.)
बम्बिसार -
· हर्यक राजवंश का संस्थापक था।
· उसने मगध साम्राज्य के विस्तार के क्रम में ब्रह्मादत्त को पराजित कर अंग को हड़पा और कोसल एवं वैशाली महाजनपदों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किया था।
· वह बुद्ध का समकालीन था। इसे श्रणिक कहा जाता था।
· इसकी राजधानी राजगीर (गिरिव्रज) है।
अजातशत्रु
· वह अपने पिता की हत्या कर सिंहासन पर बैठा।
· उसने राजगृह में एक किले का निर्माण करवाया था। साथ ही गंगा नदी के किनारे दुश्मनों पर निगरानी रखने के लिए जलदुर्ग नामक किला का निर्माण करवाया था।
· इसे कुणिक भी कहा गया।
उदायिन
· इसने गंगा और सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र नामक नगर
· की स्थापना की थी। . हर्यक राजवंश को पितृह्ता वंश भी कहते हैं।
शशुनाग राजवंश
· इस राजवंश का संस्थापक शिशुनाग था जो हर्यक वंश के शासक नागदशक का मंत्री था।
· इस राजवंश की सबसे बड़ी उपलब्धि अवन्ति का विनाश था।
· इस राजवंश के शासक कालाशोक (काकवर्ण) के शासनकाल में 383 ई. पू. में द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन वैशाली में किया गया था।
नंद राजवंश
· शिशुनाग वंश को समाप्त कर इस राजवंश की स्थापना महापद्य ने की थी। महापद्म को सर्वक्षत्रान्तक अर्थात सभी क्षत्रियों का नाश करने वाला और उग्रसेन अर्थात विशाल सेना का मालिक कहा जाता था।
· महापद्म को भारतीय इतिहास का पहला साम्राज्य निर्माता के रूप में वर्णित किया गया था। पुराणों में उसे एकराट कहा गया है जिसका अर्थ एकमात्र सम्राट होता है।
· धनानंद के शासनकाल के दौरान 326 ई. पू. में उत्तर-पश्चिम भारत में सिकंदर ने आक्रमण किया था।
You need to login to perform this action.
You will be redirected in
3 sec