मौर्य साम्राज्य
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विश्लेषणात्मक अवधारणा
चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य (शासनकाल 322-298 ई. पू. तक) की गणना भारत के महानतम शासकों में की जाती है। उसकी महानता की सूचक अनेक उपाधियां हैं और उसकी महानता कई बातों में अद्वितीय भी है। वह भारत के प्रथम ऐतिहासिक सम्राट के रूप में हमारे सामने आता है, इस अर्थ में कि वह भारतीय इतिहास का पहला सम्राट है जिसकी ऐतिहासिकता प्रमाणित कालक्रम के ठोस आधार पर सिद्ध की जा सकती है। संसार के इतिहास में केवल 3 राजाओं को ही उनके नाम के साथ महान कहकर सम्बोधित किया जाता है- एक अलेक्जेंडर, दूसरे अकबर और महान सम्राट अशोक। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य के बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जाना जाता है। कलिंग युद्ध में हुए नरसंहार तथा विजित देश की जनता के कष्ट ने अशोक की अंतरात्मा को झकझोर दिया। मौर्य सम्राट के शब्दों में, इस लड़ाई के कारण 1,50,000 आदमी विस्थापित हो गए, 1,00,000 व्यक्ति मारे गए और इससे कई गुना नष्ट हो गए। युद्ध की विनाशलीला ने सम्राट को शोकाकुल बना दिया और वह प्रायश्चित करने के प्रयत्न में बौद्ध विचारधारा की ओर आकर्षित हुआ। इस प्रकार जीवन के उत्तरार्ध में अशोक गौतम बुद्ध के भक्त हो गए और उन्हीं (महात्मा बुद्ध) की स्मृति में उन्होंने एक स्तम्भ खड़ा कर दिया जो आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल लुम्बिनी में मायादेवी मन्दिर के पास अशोक स्तम्भ के रूप में देखा जा सकता है। उसने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफगानिस्तान, पश्चिम कृ एशिया, मिस्त्र तथा यूनान में भी करवाया। अशोक के अभिलेखों में प्रजा के प्रति कल्याणकारी दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति की गई है।
मौर्य वंष (323 ई. पू. से 184 ई. पू.)
जानकारी के स्त्रोत- विष्णुगुप्त चाणक्य कौटिल्य लिखित अर्थषास्त्र नामक ग्रन्थ से मौर्यो के प्रषासन तथा चन्द्रगुप्त मौर्य के व्यक्तित्व पर प्रकाष पड़ता है।
अन्य ग्रन्थः |
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कथासरित्सागर |
सोमदेव |
वृहत्कथामंजरी |
क्षेमेन्द्र |
महाभाष्य |
प्तंजति |
कल्पसूत्र |
भद्रबाहू |
मौर्य वंश की स्थापना
· चन्द्रगुप्त मौर्य ( 322 ई. पू. से 298 ई. पू.)
· चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने प्रधानमंत्री चाणक्य की सहायता से अंतिम नन्द शासक घनानंद को पराजित कर 25 वर्ष की आयु में चन्द्रगुप्त मौर्य ने मगध का सिंहासन प्राप्त किया और उसने प्रथम अखिल भारतीय सम्राज्य की स्थापना की।
· 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर को पराजित किया तथा काबुल, हेरात, कंधार, बलूचिस्तान, पंजाब आदि क्षेत्र उससे ले लिया।
· सेल्यूकस ने अपने पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त से कर दिया तथा मेगास्थनीज को राजदूत के रूप में उसके दरबार में भेजा।
· चन्द्रगुप्त मौर्य ने जैन मुनि भद्रबाहू से दीक्षा ले ली और श्रवणबेलगोला (मैसूर) जाकर 298 ई. पू. में उपवास (सल्लेखन) द्वारा शरीर त्याग दिया।
बिन्दुसार (298-272 ई. पू.)
· चन्द्रगुप्त मौर्य उसका पुत्र बिन्दुसार शासक बना। यूनानी लेखों में इसे अमित्रोचेट्स (अमित्रघात) कहा गया है। वायुपुराण में भद्रसार तथा जैन ग्रन्थों में सिंहसेन कहा गया है।
· मिस्त्र के नरेश फिलाडेलफस (टालेमी द्वितीय) ने डायनेसियस तथा सीरियाई शासक एन्टियोकस ने डायमेकस को दूत के रूप में भेजा।
· प्रारंभिक समय में इसका प्रधानमंत्री चाणक्य था, किंतु कुछ समय बाद खल्लाटक इस पद पर आसीन हुआ।
· बिन्दुसार ने संभवतः मौर्य साम्राज्य का दक्षिण में विस्तार किया।
अशोक (273-232 ई. पू.)
· मस्की तथा गुज्जरी के अभिलेखों में अशोक के नाम का उल्लेख मिलता है।
· अन्य अभिलेखों में उसे देवनांप्रिय तथा प्रियदर्शी कहा गया है।
· अशोक ने कश्मीर और खोतान को जीता। राज्याभिषेक के आठवें वर्ष में (261 ई. पू.) कलिंग पर आक्रमण किया।
· कलिंग युद्ध के बाद उपगुप्त के प्रभाव में आकर अशोक ने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया तथा धम्म प्रचार में ध्यान देने लगे।
· अशोक ने मनुष्य की नैतिक उन्नति हेतु जिन आदर्शों का प्रतिपादन किया उन्हें धम्म कहा गया। राज्याभिषेक के 14वें वर्ष में धम्म महामात्र नामक अधिकारियों की नियुक्ति की। अशोक के अधिकांश अभिलेख ब्राह्मी लिपि में है।
· पश्चिमोत्तर के मनसेरा और शाहबाजगढ़ी से प्राप्त अभिलेख अरमाइक तथा खरोष्ठी लिपि में है।
· अशोक के अभिलेखों को सबसे पहले 1837 ई. में जेम्स प्रिन्सेप ने पढ़ा।
· अशोक ने अपने पुत्र महेद्र एवं पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म प्रचार हेतु श्रीलंका भेजा।
अशोक के अभिलेख
· अशोक के अभिलेख, भारत के विभिन्न उप महाद्वीपों में शिलालेख, स्तंभ लेख और गुफा शिलालेख के रूप में पाये जाते हैं।
· इन अभिलेखों की व्याख्या जेम्स प्रिंकेप ने 1837 ई. में की था।
· ज्यादातर अभिलेखों में अशोक की जनता को घोषणाएं हैं जबकि कुछ में अशोक के बौद्ध धर्म को अपनाने के बारे में बताया गया है।
· अशोक के समय प्रांतों की संख्या 5 थी।
अशोक के 14 शिलालेख और विषयवस्तु
राजाज्ञा 1 - पशुबलि पर प्रतिबंध
राजाज्ञा 2 - सामाजिक कल्याण के उपायों को दर्शाना
राजाज्ञा 3 - ब्राह्मण के लिए आदर
राजाज्ञा 4 - बड़ों का आदर करना
राजाज्ञा 5 - धम्म महामंत्रों को नियुक्त करना और उनके कार्य बताना
राजाज्ञा 6 - धम्म महामंत्रों को आदेश देना
राजाज्ञा 7 - सभी धार्मिक संप्रदायों के प्रति सहनशीलता
राजाज्ञा 8 - धम्म यात्राएं
राजाज्ञा 9 - व्यर्थ के समारोहों और रीतिरिवाजों को हटाना
राजाज्ञा 10 - युद्ध के बजाए जीत के लिए धम्म का प्रयोग करना
राजाज्ञा 11 - धम्म नीतियों को समझाना।
राजाज्ञा 12 - सभी धार्मिक संप्रदायों से सहनशीलता के लिए प्रार्थना करना
राजाज्ञा 13 - कलिंग युद्ध का वर्णन
राजाज्ञा 14 - धार्मिक जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करना
मौर्य साम्राज्य का पतन
· अशोक के बाद उसका पुत्र कुणाल राजा बना। कुणाल के बाद दशरथ ने शासन किया।
· अंतिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या उसके ब्राह्मण मंत्री तथा सेनानायक ने कर दी थी।
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