भारत में मुस्लिम आक्रमण

भारत में मुस्लिम आक्रमण

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भारत में मुस्लिम आक्रमण

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

                भारत शुरू से ही विदेशी शासकों के निशाने पर रहा, क्योंकि यहां की अकूत धन-सम्पत्ति को पाना सभी के लिए दिवास्वप्न था। यही कारण था कि विदेशी एक बार जरूर भारत पर आक्रमण करते थे और लूटपाट कर चले जाते थे। समय- समय पर भारतीय प्रदेश के कुछ भाग अस्थायी तौर पर विजेताओं के उपनिवेशों में शामिल हो गये थे, पर ऐसे अवसर कम ही आये थे, और उनकी अवधि भी अत्यल्प ही रही थी।

                भारत पर यूनान, ग्रीक, मुसलमान, अंग्रेज, डच, पुर्तगाल और भी कई विदेशी शक्तियों ने आक्रमण किया और लूटमार की भारत में सबसे पहले मुस्लिम आक्रमण मोहम्मद बिन कासिम ने किया जिसने राजा दाहिर को हराया। हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत में लगभग 550 साल से अधिक हुकूमत की और भारत के विकास में इन का योगदान भी रहा है।

 

 

सिंध पर अरब आक्रमण

§  632 ई. में हजरत मुहम्मद की मृत्यु के बाद 6 वर्षों में उसके उत्तराधिकारियों ने सीरिया, उत्तरी अफ्रीका, स्पेन तथा ईरान को जीत लिया था। अरबों ने भारतीय सीमा पर भी आक्रमण करने की सोची तथा जल तथा थल दोनों मार्गों से भारत पर अनेक आक्रमण किये। लेकिन उनको 712 ई. तक कोई ज्यादा सफलता हासिल नहीं हुई।

 

अरब आक्रमण के समय सिंध की राजनैतिक स्थिति

§  सिंध पर साहसीराम प्रथम का अधिकार था जो हर्ष का समकालीन था। साहसीराम प्रथम की मृत्यु के बाद सिंध का शासक साहसीराम द्वितीय हुआ (8वीं सदी) साहसीराम द्वितीय की हत्या उसके ही एक अधिकारी चच द्वारा की गई, चच एक ब्राह्मण था।

§  साहसीराम द्वितीय की पत्नी से विवाह कर चच सिंध का शासक बना। चच के दो पुत्र हुए - दाहिर तथा दाहिर सिम। कुछ समय बाद दाहिर सिम की भी मृत्यु हो गई तथा दाहिर सम्पूर्ण साम्राज्य का शासक बन गया।

§  दाहिर ने कट्टर ब्राह्मणवाद स्थापित किया। इस कारण बौद्धों को उसने प्रताडित किया। दाहिर शक्तिशाली शासक तो था लेकिन जनता में अलोकप्रिय भी था।

 

भारत पर अरबों का आक्रमण

§  अरबों ने सिंध पर आक्रमण करना प्रारंभ किया। भारत पर अरबों के आक्रमण के कई कारण हैं जो निम्नलिखित हैं-

§  भारत की धनाढ्यता

§  साम्राज्य विस्तार

§  इस्लाम का प्रसार

 

712 ई. में अल हज्जाज ने अपने दामाद एवं सेनापति मुहम्मद बिन कासिम को सिंध पर आक्रमण करने के लिए भेजा। इससे पूर्व हज्जाज ने अबदुल्ला और बर्दूल के नेतृत्व में भी अभियान भेजा था, जिसे दाहिर ने असफल कर दिया।

 

अरब आक्रमण का महत्व

§  अरबों की सिंध विजय का राजनैतिक क्षेत्र पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से इसके व्यापक प्रभाव दिखाई देते हैं जैसे- भारतीयों का दर्शन, ज्ञान, विज्ञान, चिकित्सा एवं गणित से अरब क्षेत्र प्रभावित हुआ। अरबों ने भारतीय जन-जीवन को प्रभावित किया तथा स्वयं भी यहां के जन-जीवन से प्रभावित हुए।

§  ब्रह्मगुप्त की पुस्तकों का अलफजारी ने अरबी में अनुवाद किया। सूफी धार्मिक संप्रदाय का उद्भव स्थल सिंध ही था जहां अरब लोग रहते थे। सूफीमत पर बौद्ध धर्म का प्रभाव देखा जा सकता है।

§  दशमलव प्रणाली अरबों ने 9वीं सदी में भारत से ही ग्रहण की थी।

§  यह भारतीय ज्ञान अरबों के माध्यम से यूरोपीय देशों तक पहुंचा इसी के परिणामस्वरूप यूरोप में पुनर्जागरण हुआ।

 

भारत पर तुर्क आक्रमण

§  तुर्क चीन की उत्तरी-पश्चिमी सीमाओं पर निवास करने वाली एक असभ्य व बर्बर जाति थी। इनका उद्येश्य एक विशाल मुस्लिम साम्राज्य स्थापित करना था।

§  अल्पतगीन नामक एक तुर्क सरदार ने गजनी में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। अल्पतगीन ने गजनी में यामिनी वंश की स्थापना की थी। 977 ई. में अलप्तगीन के दामाद सुबुक्तगीन ने गजनी पर अधिकार कर लिया।

§  भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम अरबी मुस्लिम मुहम्मद बिन कासिम था, जबकि प्रथम तुर्की मुसलमान सुबुक्तगीन था।

§  सुबुक्तगीन ने 986 ई. के आसपास भारत के हिन्दुशाही राजवंश के शासक जयपाल पर दो बार आक्रमण किया लेकिन सफल नहीं हो सका। फिर उसका पुत्र महमूद गजनवी उत्तराधिकारी बना जिसने भारत में काफी हद तक सफलता हासिल की थी।

महमूद गजनवी

§  महमूद गजनवी सुबुक्तगीन का पुत्र था।

§  महमूद गजनवी अपने पिता के समय खुरासान का शासक था।

§  इसने 1001-1027 ई. तक भारत पर 17 बार आक्रमण किया था। उसके इन आक्रमणों का उल्लेख विद्वान हेनरी इलियट ने किया है।

§  उत्बी के अनुसार गजनवी ने युद्धों के समय जेहाद का नारा दिया था। महमूद ने अपना नाम बुतशिन (मूर्तियों को तोड़ने वाला) रखा।

 

(i)

तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई.)

 

मुहम्मद गौरी एवं पृथ्वीराज चैहान के मध्य

पृथ्वीराज चैहान विजयी

 

-

(ii)

तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.)

 

मुहम्मद गौरी एवं पृथ्वीराज चैहान के मध्य

मुहम्मद गौरी विजय

इसी विजय के कारण मुहम्मद गौरी को भारत में मुस्लिम साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।

 

(iii)

चंदावर का युद्ध (1194 ई.)

मुहम्मद गौरी एवं जयचन्द के मध्य

मुहम्मद गौरी की विजय

इस विषय के पश्चात् मुहम्मद गौरी के सिक्कों पर देवी लक्ष्मी की आकृति बनी है। तथा मुहम्मद गौरी का नाम मुहम्मद बिन साम अंकित था।

       

महमूद की उपाधियां

§  महमूद के सिक्कों पर उसकी उपाधि अमीर महमूद अंकित है।

§  बगदाद के खलीफा अल कादिर विल्लाह ने उसे यामीन-उद्दौला तथा आमीन-उल-मिल्लाह की उपाधियां प्रदान की। यह भी कहा जाता है कि इसी अवसर पर उसने प्रत्येक वर्ष आक्रमण करने की शपथ खाई थी।

 

महमूद गजनवी के दरबारी लेखक

§  अलबरूनी - 1018-19 ई. के भारत आक्रमण के समय महमूद की सेना के साथ प्रसिद्ध अरबी विद्वान अलबरूनी आया था। अलबरूनी ने किताब-उल-हिंद (तहकीक-ए-हिंद) नामक पुस्तक की रचना की थी। इस पुस्तक में तत्कालीन भारत की गणित, इतिहास, भूगोल, खगोल, दर्शन आदि का वर्णन है।

§  फिरदौसी - इन्होंने प्रशिद्ध पुस्तक शाहनामा की रचना की।

§  उत्बी - प्रसिद्ध इतिहासकार जिन्होंने किताब-उल-यामिनीध् तारीख-उल-यामिनी की रचना की।

§  बैहाकी - यह इतिहासकार था जिसने तारीख-ए-सुबुक्तगीन की रचना की।

 

मुहम्मद गोरी

§  भारत में मुसलमानों के साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक मुइजुद्दीन मुहम्मद-बिन साम था, जिसे अधिकतर शहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी अथवा गुर वंश का मुहम्मद कहा जाता है।

§  अफगानिस्तान में गजनी वंश के पतन के बाद ‘गौरी कबीले’ की स्थिति मजबूत हुई। मुहम्मद गौरी इस कबीले का शासक था।

§  मुहम्मद गौरी शंसवानी वंश का शासक था।

§  मुहम्मद गौरी का भारत पर आक्रमण करने का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम राज्य की स्थापना करना था।

§  मुहम्मद गौरी भारत में गोमल दर्रे को पार करके आया था।

§  मुहम्मद गौरी का भारत पर प्रथम आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर था। उस समय मुल्तान का शासक राजा दाऊद था। गौरी ने उसे पराजित कर दिया।

§  1178 ई. के गुजरात आक्रमण में गुजरात के शासक भीम-द्वितीय ने मुहम्मद गौरी को बुरी तरह पराजित किया था।

§  भीम-द्वितीय बघेल वंश के शासक थे जिनकी राजधानी अन्हिलवाड़ा था।

 

अन्य तथ्य

§  मुहम्मद गौरी के सेनापति बख्तियार खिलजी ने नालंदा विष्वविद्यालय को हानि पहुंचायी थी।

§  1206 ई. में खोखरों ने मुहम्मद गौरी की हत्या कर दी।

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