जहांगीर

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जहांगीर

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

जहांगीर के बारे में कहा जाता है की वो महान मुगलों में सबसे कम चर्चित मुगल थे। वो शराबी था और उसका ध्यान सैनिक अभियानों पर न रह कर, कला और जीवन के सुखों और शानो-शौकत का आनंद उठाने पर अधिक रहा रहता था। लेकिन क्या जहांगीर का ये मूल्यांकन सटीक है?

साक्ष्यों और ऐतिहासिक स्रोतों से तो यही प्रतीत होता है की बाबर के बाद जहांगीर पहले मुगल बादशाह थे, जिन्होंने अपनी जिंदगी के बारे में खुलासे से लिखा है। हम जब इतिहास पढ़ते हैं तो महानता ढूंढ़ते हैं। चूंकि जहांगीर ने कोई बड़ा सैनिक अभियान नहीं किया तो. वो अक्सर हमारी नजरों में पीछे छूट जाते हैं। हालांकि समकालिक इतिहासकारों के अनुसार जहांगीर एक नायाब आदमी थे, क्योंकि उनकी क्या सोच थी वो हमें उनकी आत्मकथा में बहुत विस्तार से मिलती है। आइये पढ़ते हैं जहांगीर को.............

 

 

जहांगीर

 

पूरा नाम

मिर्जा नूर-उद्दीन बेग मोहम्मद खान सलीम जहांगीर

अन्य नाम

शेखू

जन्म

30 अगस्त 1569

जन्म भूमि

फतेहपुर सीकरी

शासन काल

15 अक्टूबर 1605- 8 नवंबर 1627

शासन अवधि

22 वर्ष

राज्याभिषेक

24 अक्टूबर 1605 आगरा

पिता

अकबर

माता

मरियम उज-जमानी (हरखाबाई)

पत्नी

नूरजहां, मानभवती, मानमती

संतान

खुसरो मिर्जा, खुर्रम (शाहजहां), परवेज, शहरयार, जहांदारशाह, निसार बेगम, बहार बेगम बानू

मृत्युतिथि

8 नवम्बर 1627

मृत्यु स्थान

लाहौर, मकबरा लाहौर

 

  • अकबर के पुत्र सलीम (जहांगीर) का जन्म 30 अगस्त 1569 को हुआ। अकबर ने अपने पुत्र का नाम सलीम सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा।
  • अकबर का उत्तराधिकारी सलीम हुआ, जो 24 अक्टूबर 1605 को नूरूद्दीन मुहम्मद जहांगीर बादशाही गाजी की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा।
  • जहांगीर को न्याय की जंजीर के लिए याद किया जाता है। यह जंजीर सोने की बनी थी, जो आगरा के किले के शाहबुर्ज एवं यमुना-तट पर स्थित पत्थर के खम्भे में लगवाई हुई थी।
  • जहांगीर द्वारा शुरू की गयी तुजुक-ए-जहांगीरी नामक आत्मकथा को पूरा करने का श्रेय मौतबिंद खां को है।
  • जहांगीर के सबसे बड़े पुत्र खुसरो से 1606 ई. में अपने पिता के विरूद्ध विद्रोह कर दिया।
  • खुसरो और जहांगीर की सेना के मध्य जालंधर के निकट भैरावल नामक मैदान में युद्ध हुआ था। खुसरो को पकड़ कर कैद में डाल दिया गया।
  • खुसरो को सहायता देने के कारण जहांगीर ने सिक्खों के 5वें गुरू अर्जुनदेव को फांसी दिलवा दी।
  • अहमद नगर का वजीर मलिक अम्बर के विरूद्ध सफलता से खुश होकर खुर्रम को शाहजहां की उपाधि प्रदान की।
  • 1622 ई. में कंधार मुगलों के हाथ से निकल गया। शाह अब्बास ने इस पर अधिकार कर लिया।

 

नूरजहां 

  • ईरान निवासी मिर्जा गयास बेग की पुत्री नूरजहां का वास्तविक नाम मेहरून्निसा था। 1594 ई. में नूरजहां का विवाह अलीकुली बेग से सम्पन्न हुआ।

 

  • जहांगीर ने एक शेर मारने के कारण अलीकुली बेग को अफगान शेर की उपाधि प्रदान की।
  • 1607 ई. में शेर अफगान की मृत्यु के बाद मेहरून्निसा अकबर की विधवा सलीमा बेगम की सेवा में नियुक्त हुई।
  • सर्वप्रथम जहांगीर ने नवरोज त्योहार के अवसर पर मेहरून्निसा को देखा और सौंदर्य पर मुग्ध होकर जहांगीर ने मई, 1611 में उससे विवाह कर लिया। विवाह करने के पश्चात् जहांगीर ने उसे नूरमहल प्रसाद ज्योति एवं नूरजहां जग ज्योति की उपाधि प्रदान की।
  • नूरजहां के सम्मान में जहांगीर ने चांदी के सिक्के चलवाये।
  • जहांगीर ने गियास बेग को शाही दीवान बनाया एवं इतमाद-उद-दौला की उपाधि दी।
  • जहांगीर के शासन काल में ईरानियों को उच्चपद प्राप्त हुए। नूरजहां की मां अस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र निकालने की विधि खोजी थी।
  • महावत खां ने झेलम नदी के तट पर 1626 ई. में जहांगीर, नूरजहां एवं उसके भाई आसफ को बंदी बना लिया गया।
  • 1627 ई. को भीमराव नामक स्थान पर जहांगीर की मृत्यु हो गयी। उसे शाहदरा (लाहौर) में रावी नदी के किनारे दफनाया गया।
  • मुगल चित्र कला अपने चरमोत्कर्ष पर जहांगीर के शासनकाल में पहुंची।
  • जहांगीर ने आगा रजा के नेतृत्व में आगरा में एक चित्रशाला की स्थापना की।
  • उस्ताद मंसूर एवं अबुल हसन को जहांगीर के क्रमशः नादिर-अल-उस एवं नादिरूज्जमा की उपाधि दी।
  • जहांगीर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि कोई भी चित्र चाहे वह किसी मृतक व्यक्ति या जीवित व्यक्ति द्वारा बनाया गया हो, मैं देखते ही तुरंत बता सकता हूं कि यह चित्र किसकी कृति है। यदि किसी चेहरे पर किसी एक चित्रकार ने, भौंह किसी और ने बनाई हो, तो यह भी जान लेता हूं कि आंख किसने और भौंह किसने बनाई है। जहांगीर के समय को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है।
  • इतमाद-उल-दौला का मकबरा 1626 ई. में नूरजहां बेगम ने बनवाया। मुगलकालीन वास्तुकला के अन्तर्गत यह प्रथम ऐसी इमारत है, जो पूर्ण रूप से बेदाग संगमरमर से निर्मित है।
  • अशोक के कौशाम्बी स्तम्भ (वर्तमान में प्रयाग) पर समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति तथा जहांगीर का लेख उत्कीर्ण है।
  • जहांगीर के मकबरे का निर्माण नूरजहां ने करवाया था।
  • जहांगीर के शासन काल में कैप्टन हॉकीन्स प्रथम अंग्रेज, सर टॉमस रो, विलियम फिंच एवं एडवर्ड टैरी जैसे यूरोपीय यात्री आये थे।

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