Super Exam General Studies Dance and Music / नृत्य और संगीत Question Bank शास्त्रीय, अर्धशास्त्रीय एवं उप शास्त्रीय संगीत (संगीत कला भाग 2)

  • question_answer
    निम्न कथनों पर विचार करें -
    1. फैयाज खां को आफताब -ए मौसिकी’ कहा जाता था।
    2. मुथुस्वामी का जन्म तंजवूर के तिरूवरूर में हुआ था। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें

    A) केवल 1    

    B)          केवल 2

    C) 1 और 2   

    D)          न तो 1 न ही 2

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर - 1 और 2
    व्याख्या -उपरोक्त दोनों कथन सत्य हैं। उस्ताद फैयाज खान एक भारतीय शास्त्रीय गायक, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के आगरा घराने के प्रतिपादक थे। इन्हें ‘ज्ञानरत्न’, और 1938 में मैसूर दरबार में ‘आफताब-ए-मौसिकी’ अर्थात संगीत का सूर्य की उपाधि दी गई। फैयाज खां, ध्रुपद तथा खयाल गायन शैली के श्रेष्ठतम गायक थे। फैयाज ख्याल में भी ध्रुपद ,धमार के समान नोम तोम का आलाप करते थे। उस्ताद फैयाज खां ब्रज भाषा का सही और सुंदर उच्चारण करते थे और ‘प्रेमपिया’ के नाम से रचनाएं भी करते थे। जैजैवंती, ललित, दरबारी, सुघराई, तोड़ी, रामकली, पूरिया, पूर्वी आदि फैयाज खां के प्रिय राग थे। फैयाज खां के प्रमुख शिष्यों में स्व. पं. यस. यन. रातनजनकर, दिलीप चन्द्र बेदी, विलायत हुसैन, लताफत हुसैन, शराफत हुसैन, अजमत हुसैन, अता हुसैन आदि थे।
    मुथुस्वामी दीक्षितार - मुथुस्वामी का जन्म तंजवूर के तिरूवरूर में हुआ था। इन्होंने कुछ अप्रचलित रागों जैसे-सारंग नट, कुमुदक्रिया और अमृत वर्षिनी, में कुछ धुनें तैयार की जिनके आधार पर इन रागों का प्रयोग किया जा सकता है। मुथुस्वामी दीक्षित को वीणा पर प्रवीण यता प्राप्त थी, और वीणा का प्रदर्शन उनकी रचनाओं में स्पष्ट देखा जा सकता है, विशेषकर गमन में। उनकी कृति बालगोपाल में, उन्होंने खुद को वीणा गायक के रूप में परिचय दिया। उन्होंने विभिन्न तालों का जटिल प्रयोग कर संगीत की कुछ नई तकनीकें विकसित की। उनमें से कुछ हैं- वायलिन का कर्नाटक संगीत में प्रयोग, जिसे अभी तक पश्चिमी वाद्य माना जाता था।


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