Super Exam Biology Molecular basis of Inheritance / विरासत का आणविक आधार Question Bank वंशागति का आण्विक आधार एवं जैव तकनीकी

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    भारतीय किसान टर्मिनेटर बीज प्रौद्योगिकी के प्रवेश से असंतुष्ट हैं क्योंकि इस प्रौद्योगिकी से उत्पादित बीजों से संभावना होती हैं- (UPSC 1999, UPPCS 1999, 2004)

    A) खराब अंकुरण दिखने की।

    B) उच्च गुणता के बावजूद अल्प उपज वाले पौधे बनने की।

    C) लैंगिक रूप से बांझ पौधों के उगने की।

    D) अंकुरणक्षम बीज बनाने में असमर्थ पौधों के उगने की।

    Correct Answer: D

    Solution :

    उत्तर - अंकुरणक्षम बीज बनाने में असमर्थ पौधों के उगने की।
    व्याख्या - टर्मिनेटर बीज प्रौद्योगिकी - इस तकनीक द्वारा पौधों में आनुवंशिक परिवर्तन किया जाता है जिससे बंध्य (Sterile) बीजों का उत्पादन का गुण आ जाता है। जिससे उन्नत बीज दूसरी पीढ़ी में बंध्य बीज का बनाते हैं। इन बीजों को सुसाइड सीड भी कहा जाता है। इसमें एक त्रि-जीनों (triplet gene) की श्रृंखला निवेशित की जाती है, इसके पश्चात उस फसल में टर्मिनेटर तकनीकी कार्यरत होती है। प्रथम जीन भ्रूण की अंकुरण क्षमता को पूर्णतया समाप्त कर देता है। यह जीन कब सक्रिय हो इसका नियमन रिकम्बाइनेज एंजाइम के माध्यम से होता है, जो दूसरा जीन पैदा करता है तथा तीसरा जीन रिकम्बाइनेज का नियंत्रण करता है। टर्मिनेटर तकनीक के माध्यम से एक फसल के बीजों में डाला जाने वाला जीन बीजों को बंध्य कर देता है। ये बीज आर्थिक रूप से कृषकों किसानों के नुकसानदेह है, क्योंकि एक फसल से दूसरी फसल के लिये इनको दुबारा नही बोया जा सकता जिसे प्रत्येक वर्ष नया बीज खरीदना पड़ता। जबकि टर्मिनेटर बीज प्रौद्योगिकी बायोटेक कंपनियों के लिये तो फायदेमंद है। इस तकनीकी को जेनेटिक यूज रिस्ट्रिक्शन टेक्नोलॉजी (GURT) भी कहा जाता है।


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