Super Exam Biology Human Health And Disease / मानव स्वास्थ्य और रोग Question Bank मानव स्वास्थ्य, रोग एवं उपचार

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    अज्ञात रक्त वर्ग का एक व्यक्ति गम्भीर रूप से दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है और उसे तुरन्त रक्त आधान (Blood transfusion) की जरूरत पड़ती है। अस्पताल में आसानी से उपलब्ध निम्नलिखित रक्त वर्गों में से किस एक वर्ग का रक्त आधान के लिए सुरक्षित होगा?            (UPSC 2001)

    A) O, Rh-

    B) O, Rh+

    C) AB, Rh-

    D) AB, Rh+

    Correct Answer: A

    Solution :

    उत्तर - O, Rh-
    व्याख्या - किसी भी व्यक्ति के रक्त को किसी अन्य व्यक्ति के रक्त में बिना जांच के नहीं चढ़ाया जा सकता, क्योंकि अलग रक्त समूह होने से रुधिर स्कन्दन के कारण ग्राही की मृत्यु हो सकती है। मनुष्यों के रक्त में दो प्रकार के प्रोटीन उपस्थित होते हैं,
    i. एण्टीजन - यह लाल रुधिराणुओं की कोशिका कला (cell membrane) पर उपस्थित रहते हैं।
    ii. एण्टीबॉडीज - ये रक्त के प्लाज्मा में उपस्थित होते हैं जिस मनुष्य की रक्त कणिकाओं में जो एण्टीजन नहीं होते, उनके प्रति इनके सीरम में एण्टीबॉडीज उपस्थित होती है। इसी के आधार पर मानव रुधिर को चार समूहों में बांटा गया है। O रुधिर वर्ग में कोर्इ भी एण्टीजन नहीं होता अत: इनमें दोनों ही प्रकार की एण्टीबॉडीज होती है। एण्टीजन न होने के कारण O रक्त समूह की रक्त कणिकाएं किसी भी रक्त समूह के रक्त की एण्टीबॉडीज के साथ स्कंदन नहीं करती। इसका कारण O रक्त समूह वाले व्यक्ति का रक्त किसी भी रक्त समूह के व्यक्ति को दान किया जा सकता हैं।
    Rh फैक्टर- एक अन्य एण्टीजन Rh है जो लगभग 80 प्रतिशत मनुष्यों में पाया जाता है तथा यह Rh एण्टीजन रीसेस बंदर में पाए जाने वाले एण्टीजन के समान है। ऐसे व्यक्ति को जिसमें Rh एण्टीजन होता है, को Rh सहित (Rh+ve) और जिसमें यह नहीं होता उसे Rh हीन (Rh+ve) कहते हैं। यदि Rh रहित (Rh&ve) के व्यक्ति के रक्त को Rh सहित (Rh+ve) पॉजिटिव के साथ मिलाया जाता है तो व्यक्ति मे Rh एण्टीजन Rh-ve के विरूद्ध विशेष प्रतिरक्षी बन जाती हैं, अत: रक्त आदान-प्रदान के पहले Rh समूह को मिलना भी आवश्यक है। एक विशेष प्रकार की Rh अयोग्यता को एक गर्भवती (Rh-ve) माता एवं उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण के Rh+ve के बीच पार्इ जाती है। प्लेसेंटा द्वारा पृथक रहने के कारण भ्रूण का Rh एण्टीजन सगर्भता में माता के Rh-ve को प्रभावित नहीं कर पाता, लेकिन फिर भी पहले प्रसव के समय माता के Rh-ve रक्त से शिशु के Rh+ve रक्त के संपर्क में आने की संभावना रहती है। ऐसी दशा में माता के रक्त में Rh एण्टीबॉडी बनना प्रारंभ हो जाता है। ये प्रतिरोध में एण्टीबॉडी बनाना शुरू कर देती है। यदि परवर्ती गर्भावस्था होती है तो रक्त से (Rh-ve) भ्रूण के रक्त (Rh+ve) में Rh एण्टीबॉडी का रिसाव हो सकता है और इससे भ्रूण की लाल रुधिर कणिकाएं नष्ट हो सकती हैं। यह भ्रूण के लिए जानलेवा हो सकती हैं या उसे रक्ताल्पता (खून की कमी) और पीलिया हो सकता है। ऐसी दशा को इरिथ्रोब्लास्टोसिस फिटैलिस (गर्भ रक्ताणु कोरकता) कहते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए माता को प्रसव के तुरंत बाद Rh एन्टीबॉडी का उपयोग करना चाहिए।
    उत्तर - O, Rh-


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