Super Exam General Studies Sculpture in India / भारत में मूर्तिकला Question Bank मध्यकालीन भारत में मूर्तिकला (मूर्तिकला भाग 2)

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    चोलकालीन नटराज की मूर्तिकला के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
    1. नटराज की मूर्ति न केवल चोल काल में अपितु उससे पूर्व चालुक्य,काल में भी बनाई गई।
    2. नटराज की मूर्ति अर्द्ध-नारीश्वर का प्रतीक है।
    3. मूर्ति प्रकाश के प्रभामंडल से घिरी है, जो समय के विशाल अंतहीन चक्र का प्रतीक है।
    4. निचला दाहिना हाथ मोक्ष मार्ग को दर्शाता है। उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

    A) केवल 1 और 2

    B) केवल 2 और 3

    C) केवल 1, 2 और 3

    D) 1, 2, 3 और 4

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर - केवल 1, 2 और 3
    व्याख्या - चोल मंदिरों की सजावट में मूर्तियों पर विशेष महत्त्व दिया जाना, चोल मंदिरों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता थी। नटराज की मूर्ति चोल कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। साक्ष्यों से पता चलता है कि चालुक्य शासन के दौरान भी नटराज की मूर्तियां बनवाई गई, किंतु चोल शासन के दौरान ही यह अपने चरम पर पहुंची। शृंगार में शिव के एक कान में पुरुष की बाली है, जबकि दूसरे में महिला की बाली है। यह पुरुष तथा महिला के विलय का प्रतीक है और इसे अक्सर अर्द्ध-नारीश्वर के रूप में जाना जाता है। शिव की यह नटराज मुद्रा प्रकाश के एक प्रभामंडल से घिरी है जो समय के विशाल अंतहीन चक्र का प्रतीक है। नटराज का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में उठा हुआ है जो आशीर्वाद को दर्शाता है और भक्तों के लिये अभयता का भाव प्रकट करता है।


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