Super Exam General Studies Language and Literature / भाषा और साहित्य Question Bank भारतीय साहित्यिक प्रवृत्तियां

  • question_answer
    कल्हण की राजतरंगिणी को किसने आगे बढ़ाया?                                              (BPSC 2011, UPPSC 2000)

    A) बिल्हण एवं मेरतुंग

    B) बिल्हण एवं मम्मट

    C) जोनराज एवं मेरुतुंग

    D) जौनराज एवं श्रीवर

    Correct Answer: B

    Solution :

    उतर - बिल्हण एवं मम्मट
    व्याख्या - कल्हण की राजतरंगिणी प्राचीन भारत की पहला प्रशस्ति ग्रन्थ है, जिसे आगे जाकर कवि बिल्हण एवं मम्मट ने जारी रखा। यह एक संस्कृत ग्रन्थ है, जिसकी रचना 1148 से 1150 ईसवी के मध्य हुई थी। यह रचना आठ सर्गो में विभाजित है जिसमे 8000 से ज्यादा श्लोक है, पहले 3 सर्गों में 3000 से ज्यादा वर्षों का विवरण है इसमें केवल राजवंशों की सूचियां मात्र दी गई है। इसमें पौराणिक श्रोतों, अनुश्रुतियों तथा मिथकों का भी उपयोग किया गया है। चौथे,पांचवें तथा छठे सर्गों में कार्कोट व उत्पल वंश तथा अन्तिम दो सर्गों में लोहार राजवंश का विवरण मिलता है।
    टिप्पणी - 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में औरेल स्टीन ने पण्डित गोविन्द कौल के सहयोग से राजतरंगिणी का अंग्रेजी अनुवाद कराया।
    विशेष -
    · कल्हण ने कश्मीर के इतिहास की सबसे शक्तिशाली – महिला शासक दिदा का उल्लेख किया है, जो राजा क्षेमगुप्त की पत्नी थी।
    · इस पुस्तक के अनुसार कश्मीर का नाम “कश्यपमेरु” था जो ब्रह्मा के पुत्र ऋषि मरीचि के पुत्र थे।


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