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    बाइबिल के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार करें
    1. बाइबिल का पहला भाग “नया नियम” कहलाता है।
    2. ईसाई धर्म के लोग एक ईश्वर के रूप को तीन रूप में स्वीकार करते है। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें

    A) केवल 1                    

    B) केवल 2

    C) 1 और 2                   

    D) न तो 1 न ही 2

    Correct Answer: B

    Solution :

    उत्तर - केवल 2
    व्याख्या - पहला कथन असत्य है। जबकि दूसरा कथन सत्य है। ईसाई धर्म की पवित्र धर्म ग्रंथ पुस्तक “बाइबिल” है। ईसाई धर्मग्रन्थ बाइबिल में दो भाग हैं। पहला भाग “पुराना नियम (ओल्ड टेस्टामेंट) है, जो कि यहूदियों के धर्मग्रंथ “तनख” का ही संस्करण रूप है। दूसरा भाग “नया नियम (न्यू टेस्टामेंट) कहलाता है। न्यू टेस्टामेंट में ईसा मसीह के उपदेश, चमत्कार और उनके शिष्यों के कामों का वर्णन करता है। “नया नियम”(न्यू टेस्टामेंट) भाग में वर्णित सभी उपदेशों, शिक्षाओं, आदेशों, नियमों को मानते है। इस भाग में ही “प्रभु यीशु” के जीवन की जानकारी, शिक्षाओं, उनके शिष्यों आदि से संबंधित जानकारी प्राप्त होती है। ईसाई धर्म एक एकेश्वरवादी धर्म है। जिसका मतलब होता है की,ईश्वर एक होता है। जो इस पूरे संसार को चलाता है। वो सर्वव्यापी है। सब प्राणी जो जीवन जीते है वह उसकी देन है। लेकिन ईसाई धर्म के लोग एक ईश्वर के रूप को तीन रूप में स्वीकार करते है। उनका मानना है की इस संसार में ईश्वर तीन रूपो में है। जो निम्न है -
    · परमपिता - परमपिता इस दुनिया की रचना करने वाला है। वह ही इस दुनिया को चलाते है।
    · ईसा मसीह - ईसा मसीह उस परमपिता के पुत्र थे। जो जन्म लेकर इंसानी देह (देह - शरीर) में इस संसार पर आये थे। ईसा मसीह का जन्म इस संसार में इसलिये हुया था की वह मनुष्यों के अन्दर के पापों को खत्म करें।
    · पवित्र आत्मा - यह. हर किसी प्राणी के शरीर में निवास करती है। इसी पवित्र आत्मा के प्रभाव में व्यक्ति अपने अन्दर ईश्वर का अहसास करता है।


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