Super Exam General Studies Philosophical Trends in India / भारत में दार्शनिक प्रवृत्तियां Question Bank भारत में दार्शनिक प्रवृत्तियां

  • question_answer
    भारतीय दर्शन परम्परा के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार करें-
    1. चार्वाक दर्शन को लोकायत दर्शन भी कहते हैं।
    2. इसे दर्शन रूप में स्थापित करने का श्रेय आचार्य बृहस्पति को दिया जाता है। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें

    A) केवल 1                    

    B) केवल 2

    C) 1 और 2

    D)                               न तो 1 न ही 2

    Correct Answer: C

    Solution :

    उत्तर - 1 और 2
    व्याख्या - चार्वाक दर्शन के लिए बौद्ध पिटकों एवं अन्य ग्रन्थों में ‘लोकायत’ अथवा लोकायतिक शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ ‘दर्शन’ की वह प्रणाली है जो इस लोक में विश्वास करती है और स्वर्ग, नरक अथवा मुक्ति की अवध गरणा में विश्वास नहीं रखती’। संभवतया ‘लोकायत’ विचार का कोई प्रणेता नहीं है, लेकिन इसे दर्शन रूप में स्थापित करने का श्रेय आचार्य बृहस्पति को दिया जाता है, जो कदाचित् देवगुरु बृहस्पति से भिन्न थे। चार्वाक को उनका शिष्य बताया जाता है, जिसने इस विशुद्ध भौतिकवादी विचारधारा को प्रचारित-प्रसारित किया। शायद इसीलिए उसका नाम इस दर्शन से जुड़ गया।
    विशेष - चार्वाकों को दो श्रेणियों में बांटा जाता है
    (1) धूर्त,
    (2) सुशिक्षित।
    ‘यह शरीर जब तक है, तभी तक सब कुछ है, उसके बाद कुछ नहीं रहता’ के सिद्धांत के कारण लोकायत में पाप-पुण्य, नैतिकता आदि जैसी बातों का कोई ठोस आधार न होते हुए भी ‘सुशिक्षित’ चार्वाक सुव्यवस्थित मानव समाज की रचना के पक्षधर होते हैं। दूसरी तरफ ‘धूर्त’ चार्वाकों के लिए ‘खाओ-पिओ. मौज करो, और उसके लिए सब कुछ जायज़ है’ की नीति पर चलते हैं । उनके लिए सुखप्राप्ति एकमेव जीवन उद्देश्य रहता है। कोई भी कर्म उनके लिए गृहीत, त्याज्य या अवांछित नहीं होता है।


You need to login to perform this action.
You will be redirected in 3 sec spinner