A) सांख्य दर्शन
B) न्याय दर्शन
C) योग दर्शन
D) जैन दर्शन
E) इनमें से कोई नहीं
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर - जैन दर्शन |
व्याख्या - त्रिरत्न एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ 1. है- तीन रत्न। पालि भाषा में इसे ति-रतन लिखा जाता है। जैन एवं बौद्ध दोनों ही दर्शन में त्रिरत्न बताए गए हैं। जैन धर्म के त्रिरत्न - जैन धर्म के त्रिरत्न सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चरित्र सम्यक ज्ञान - सत्य तथा असत्य का ज्ञान ही सम्यक ज्ञान है। सम्यक दर्शन -यथार्थ ज्ञान के प्रति श्रद्धा ही सम्यक दर्शन है। सम्यक चरित्र (आचरण) - अहितकर कार्यों का निषेध तथा हितकारी कार्यों का आचरण ही सम्यक चरित्र है। बौद्ध धर्म के त्रिरत्न - बुद्ध, धम्म, संघ माने जाते हैं। बुद्ध - जो जागृत एवं महाज्ञानी हैं। धम्म -जो बुद्ध की शिक्षाएं हैं। संघ - बौद्ध भिक्षुओं एवं बौद्ध उपासकों का संघटन। |
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