Super Exam General Studies Philosophical Trends in India / भारत में दार्शनिक प्रवृत्तियां Question Bank भारत में दार्शनिक प्रवृत्तियां

  • question_answer
    “समाधि मरण” किस दर्शन से संबंधित है?                                                                        (CGPSC 2015)

    A) बौद्ध दर्शन                 

    B) जैन दर्शन

    C) योग दर्शन

    D)                               लोकायत दर्शन

    E) इनमें से कोई नहीं

    Correct Answer: B

    Solution :

    उत्तर- जैन दर्शन
    व्याख्या - जैन धर्म में श्वोतांबर और दिगंबर दो पंथ है। संथारा श्वोतांबरों में प्रचलित है जबकि दिगंबर इस परंपरा को सल्लेखना कहते हैं। सल्लेखना अथवा समाधि मरणं या संथारा जीवन के अंतिम समय में मृत्यु निकट जानकर स्वेच्छा से अपनाई जाने वाली एक जैन प्रथा है अर्थात यह स्वेच्छा से देह त्यागने की परंपरा है। जैन धर्म में इसे जीवन की अंतिम साधना माना जाता है। व्यक्ति को यह लगने लगता है कि वह मृत्यु के करीब है, तो वह खुद खाना-पीना त्याग देता है इसे दिगंबर जैन शास्त्र के अनुसार, समाधि मरण या सल्लेखना कहा जाता है।
    टिप्पणी - भगवान महावीर के उपदेशानुसार जन्म की तरह मृत्यु को भी उत्सव का रूप दिया जा सकता है। संथारा लेने वाला व्यक्ति भी खुश होकर अपनी अंतिम यात्रा को सफल कर सकेगा, यही सोचकर संथारा लिया जाता है। संथारा की शुरुआत सबसे पहले सूर्योदय के बाद 48 मिनट तक उपवास से होती है, जिसमें व्यक्ति कुछ पीता भी नहीं है। इस व्रत को नौकार्थी कहा जाता है। संथारा में उपवास पानी के साथ और बिना पानी पीए, दोनों तरीकों से हो सकता है।


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