Super Exam General Studies Dance and Music / नृत्य और संगीत Question Bank भारत में जनजातीय एवं लोकनृत्य (नृत्यकला भाग 2)

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    लोकनृत्य की निम्न विशेषताओं में विचार करें -
    1. इस नृत्य का आयोजन चैत्र मास की पूर्णिमा को रात के समय किया जाता है।
    2. यह नृत्य एक प्रकार से प्रकृति की पूजा का आदिम स्वरूप यह छत्तीसगढ़ का प्रमुख लोकनृत्य है।

    A) पण्डवानी   

    B)          सरहुल

    C) कर्मा                         

    D)          गैड़ी नृत्य

    Correct Answer: B

    Solution :

    उत्तर - सरहुल
    व्याख्या - उपरोक्त सभी विशेषताएं छत्तीसगढ़ के सरहुल नृत्य से संबंधित हैं। सरहुल नृत्य छत्तीसगढ़ राज्य में सरगुजा, जशपुर और धरमजयगढ़ तहसील में बसने वाली उरांव जाति का जातीय नृत्य है। इस नृत्य का आयोजन चैत्र मास की पूर्णिमा को रात के समय किया जाता है। यह नृत्य प्रकृति की पूजा का एक बहुत ही आदिम रूप है।
    टिप्पणी -
    · आदिवासियों का यह विश्वास है कि साल वृक्षों के समूह में, जिसे यहां ‘सरना’ कहा जाता है, उसमे महादेव निवास करते हैं।
    · महादेव और देव पितरों को प्रसन्न करके सुख शांति की कामना के लिए चैत्र पूर्णिमा की रात को इस नृत्य का आयोजन किया जाता है।
    · सरहुल नृत्य के प्रारंभिक गीतों में धर्म प्रवणता और देवताओं की स्तुति होती है।
    · शराब का सेवन भी इस अवसर पर किया जाता है
    विशेष -
    · कर्मा नृत्य - यह नृत्य छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश अंचल के आदिवासी समाज का प्रचलित लोक नृत्य है। भादों मास की एकादशी को उपवास के पश्चात करमवृक्ष की शाखा को घर के आंगन या चौगान में रोपित किया जाता है। दूसरे दिन कुल देवता को नवान्न समर्पित करने के बाद ही उसका उपभोग शुरू होता है।
    · कर्मा नृत्य नई फसल आने की खुशी में किया जाता है। छत्तीसगढ़ के एक लोक नृत्य में ‘करमसेनी देवी’ का अवतार गोंड के घर में माना गया है, दूसरे गीत में - घसिया के घर माना गया है।
    · कर्मा नृत्य में मांदर और झांझ-मंजीरा प्रमुख वाद्ययंत्र हैं।
    · इसके अलावा टिमकी ढोल, मोहरी आदि का भी प्रयोग होता है। कर्मा नर्तक मयूर पंख का झाल पहनता है, पगड़ी में मयूर पंख के कांड़ी का झालदार कलगी खोसता है।
    · यह नृत्य के विभिन्न प्रकार हैं -
    · जो नृत्य झूम-झूम कर नाचा जाता है, उसे ‘झमर’ कहते हैं।
    · एक पैर उठाकर गाया जाने वाल नृत्य ‘लंगड़ा’ है।
    · लहराते हुए करने वाले नृत्य को ‘लहकी और खड़े होकर किया जाने वाला नृत्य ठाढ़ा’ कहलाता है।
    · आगे-पीछे पैर रखकर, कमर लचकाकर किया जाने वाला नृत्य खेमटा’ है।
    · गैड़ी नृत्य - यह छत्तीसगढ़ राज्य के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य लकड़ी के डंडों के ऊपर शारीरिक संतुलन बनाये रखकर पद संचालन के साथ किया जाता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के मारिया गौड़ आदिवासी अपने नृत्यों के लिए बहुत जाने जाते हैं। उनके इन्हें नृत्यों में से गैड़ी नृत्य भी एक प्रभावशाली नृत्य है, जो नर्तकों के शारीरिक संतुलन को दर्शाता है।
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