Super Exam Economics Banking System Question Bank बैंकिंग तंत्र एवं कैशलेस इकोनॉमी

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    निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सत्य है
    1. फरवरी 2020 की स्थिति में रेपो दर 5.15% निर्धारित की गई है। 
    2. फरवरी 2020 की स्थिति में रिवर्स रेपो दर 4.90% निर्धारित की गई है।
    3. फरवरी 2020 की स्थिति में बैंक दर 8.75% निर्धारित की गई।
    कूटः

    A) केवल 1    

    B)        केवल 2

    C) 1 और 2   

    D)        1, 2 और 3 

    Correct Answer: D

    Solution :

    उत्तर-1, 2 और 3
    व्याख्या-
    · रेपो दर: अल्पकालिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जिस ब्याज दर पर कॉमर्शियल बैंक रिजर्व बैंक से नकदी ऋण प्राप्त करते हैंए ‘रेपो दर‘ कहलाती है। वर्तमान फरवरी 2020 की स्थिति में रेपो दर-5.15 प्रतिशत निर्धारित किया है।
    · रिवर्स रेपो दर: अल्पकालिक अवधि के लिए रिजर्व बैंक द्वारा कॉमर्शियल बैंकों से जिस ब्याज दर पर नकदी प्राप्त की जाती है ‘रिवर्स रेपो दर‘ कहलाती है, सामान्यतः बाजार में मुद्रा की आपूर्ति बढ़ जाने पर उसमें कमी लाने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक द्वारा बढ़ी ब्याज दरों पर कॉमर्शियल बैंकों को अल्प अवधि के लिए नकदी रिजर्व बैंक में जमा करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है। 8 फरवरी, 2020 की स्थिति के अनुसार रिवर्स रेपो दर 4.90 प्रतिशत है।  
    · बचत बैंक दर: बैंक ग्राहकों की छोटी-छोटी बचतों पर बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दर को ‘बचत बैंक दर‘ कहा जाता है। वर्तमान में यह दर अनियन्त्रित है अर्थात बैंक स्वयं इसे निर्धारित कर सकते हैं। बैंक दर- 8.75 प्रतिशत है।  
    · माइकर कोड: ‘मैग्नेटिक इंक करेक्टर रिकॉगनीशन‘ कोड सामान्यतया 9 अंकों का कोड है, जो सभी बैंकों के चेक के निचले हिस्से में छपा रहता है। इसमें पहले 3 अंक बैंक शाखा के शहर के नाम, अगले 3 अंक बैंक के नाम तथा आखिरी 3 अंक बैंक ब्रांच की पहचान के लिए दिए रहते हैं।
    · इण्डियन फाइनेन्शियल सिस्टम कोड (IFSC): ‘इण्डियन फाइनेन्शियल सिस्टम कोड‘ जो सामान्यतया 11 अंकों का प्रत्येक बैंक के चैक पर छपा होता है, इसमें पहले 4 अक्षरों में बैंक का नाम, एक शून्य तथा अन्तिम 6 अंकों में बैंक ब्रांच से संबंधित विवरण अन्तर्निहित होता है।
    · नेफ्ट (NEFT) प्रणाली: इंटरनेट के माध्यम से नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रांसफर के द्वारा लिखित चेक के स्थान पर RS. 1 लाख से कम धनराशि को एक बैंक से उसी तथा अन्य बैंक के खाते में खाताधारक द्वारा स्वयं ही स्थानान्तरित किया जा सकता है।
    · रीयल टाइम ग्रौस सैटिलमेंट (RTGS) प्रणाली: सामान्यतया RS. 1 लाख लाख से अधिक की धनराशि के खाताधारक द्वारा स्वयं इंटरनेट के माध्यम से रीयल टाइम ग्रौस सैटिलमेंट विधि से किसी भी खाताधारक के किसी भी बैंक के खाते में त्वरित रूप से भेजा जा सकता है।
    · इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सिस्टम : इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सिस्टम योजना के माध्यम से बैंक द्वारा अपने ग्राहकों को उसके द्वारा आदेशित किसी भी संस्थाध्व्यक्ति के खाते में नियमित रूप से अन्तरित की जाने वाली धनराशि को बिना पेपर चैक काटे हुए स्वतः अन्तरण की सुविधा प्रदान की जाती है।
    · चेक टुनकेशन प्रणाली (Cheque Truncation System CTS): किसी व्यक्ति/फर्म/संस्थान द्वारा जारी किए गए किसी चेक के भुगतान हेतु उसे उसके मूल शाखा/बैंक के पास भौतिक रूप में न भेजकर उसकी स्कैनिंग करके उस चेक को एक गोपनीय पट्टी पर दर्ज (अदृश्य) सूचनाओं के सत्यापन से ही चेक का भुगतान चेक जमा करने वाली शाखा में प्राप्त किया जा सकता। नई प्रणाली में चेक को क्लीयरिंग हाउस भेजने की आवश्यकता नहीं होगी।
    · नेट बैंकिंग: इंटरनेट एवं कंप्यूटर की सहायता से घर बैठे बैंकिंग के कार्यों का संचालन किया जाता है। इस प्रक्रिया को नेट बैंकिंग कहते हैं। नेट बैंकिंग के माध्यम से ग्राहक अपने कंप्यूटर का उपयोग कर अपने बैंक नेटवर्क और वेबसाइट को एक्सेस कर सकता है और घर बैठे या ऑफिस से बैंक सर्विस का लाभ उठा सकता है।
    · सीसीआईएल (CCIL): सीसीआईएल ;क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लि. भारतीय विदेशी विनिमय बाजार का एक निकाय है, जो विदेशी लेन-देन के समाशोधन का कार्य करता है।
    · प्लास्टिक मनी (Plastic Money) प्लास्टिक मनी से तात्पर्य विभिन्न बैंकों, वित्तीय संस्थानों तथा अन्य कम्पनियों द्वारा जारी किए गए क्रेडिट कार्डों से है। भारत के लगभग सभी महानगरों में क्रेटिड कार्डों का चलन बढ़ राहा है। इनसे हवाई जहाज की टिकट, कपड़े, सामान्य आदि खरीदे जा सकते हैं।
    · ग्रामीण आधारिक अवंसरचना विकास निधि: ग्रामीण आधारिक अवसंरचना से संबंधित चालू परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए राज्य सरकारों तथा राजय स्वामित्व वाले निगमों को वित्तीय सहायता प्रदान कराने से है। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ने 1995-96 में ग्रामीण आधारिक अवसंरचना विकास निधि की स्थापना की थी।
    · विनिमय पत्र अथवा विनिमय हुण्डी: यह एक ऐसा लिखित विपत्र है, जिसमें उसका लेखक अपने हस्ताक्षर कर किसी व्यक्ति को यह शर्तरहित आज्ञा देता है कि वह एक निश्चित धनराशि किसी व्यक्ति विशेष या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या उस विपत्र के वाहक को भुगतान कर दें। विनिमय हुण्डी केवल मुद्रा के रूप में लिखी जाती है।


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