Super Exam General Studies Sculpture in India / भारत में मूर्तिकला Question Bank प्राचीन भारत में मूर्तिकला (मूर्तिकला भाग 1)

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    गांधार शैली के संदर्भ में निम्न कथनों पर विचार करें -
    1. गांधार शैली का प्रचलन प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व के उत्तरार्ध से पांचवÈ शताब्दी तक रहा।
    2. गांधार शैली में सर्वोत्कृष्ट कार्य द्वितीय शताब्दी ईस्वी में कनिष्क एवं हुविष्क के शासनकाल में हुआ।
    3. गुप्तकालीन कला ने गांधार कला को अपने में समाहित कर लिया। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें

    A) 1 और 2

    B) 2 और 3

    C) 1 और 3

    D) 1, 2 और 3

    Correct Answer: D

    Solution :

    उत्तर - 1, 2 और 3
    व्याख्या - गांधार शैली का प्रचलन प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व के उत्तरार्ध से पांचवÈ शती तक रहा। लेकिन गांधार शैली में सर्वोत्कृष्ट कार्य द्वितीय शताब्दी ईस्वी में कनिष्क एवं हुविष्क के शासनकाल में हुआ। गांधार कला शैली लगभग पांच शताब्दियों तक विकसित होती रही बाद में गुप्तकालीन कला ने गांधार कला को अपने में समाहित कर लिया।
    टिप्पणी - गांधार कला शैली की विशेषताएं -
    प्रतिमाएं स्लेटी पत्थर से निर्मित हैं।
    इस शैली में मानव शरीर का यथार्थ रूप में चित्रण किया गया है तथा अंग-प्रत्यंग और मांसपेशियों की ओर विशेष ध्यान दिया गया है।
    बालों का अंकन यूनानी शैली से किया गया है।
    बुद्ध के मुख मंडल के चारों ओर आभामंडल बनाया गया है।
    मोटी वस्त्रों में सलवटों को अत्यंत बारीकी से दर्शाया गया है।
    गांधार कला शैली में सुंदर प्रतीकों एवं अलंकरणों का प्रयोग किया गया है।


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