Super Exam General Studies Dance and Music / नृत्य और संगीत Question Bank नृत्य परंपरा का परिचय एंव भारत में शास्त्रीय नृत्य (नृत्यकला भाग 1)

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    भारत की सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में नृत्य एवं नाटक की एक मुद्रा, ‘त्रिभंग’ प्राचीन समय से लेकर अब तक भारतीय कलाकारों की पसंद बनी हुई है। नीचे दिया गया कौन सा कथन इस मुद्रा का वर्णन करता है?                                                                                                    (IAS 2012)

    A) एक पैर मुड़ा हुआ और शरीर थोड़ा सा मुड़ा हुआ लेकिन कमर और गर्दन विपरीत दिशा में मुड़े हुए होते हैं।

    B) चेहरे के भाव, हाथों की मुद्राएं और मेकअप कुछ महाकाव्यों या ऐतिहासिक चरित्रों का प्रतीक होते हैं।

    C) शरीर, चेहरे और हाथों की मुद्राएं खुद को या किसी कहानी को बयां करती हैं।

    D) एक छोटी सी मुस्कान, हल्की मुड़ी हुई कमर और हाथों के कुछ इशारे प्यार या कामुकता की भावनाओं को व्यक्त करने पर जोर देते हैं।

    Correct Answer: A

    Solution :

    उत्तर -एक पैर मुड़ा हुआ और शरीर थोड़ा सा मुड़ा हुआ लेकिन कमर और गर्दन विपरीत दिशा में मुड़े हुए होते हैं।
    व्याख्या - “त्रिभंग मुद्रा” ओडिसी नृत्य से संबंधित है। इसमें शरीर को तीन भागों - सर, शरीर और पैर में बांटकर उस पर ध्यान केंद्रित करते हुए नृत्य किया जाता है। इस नृत्य की मुद्राएं और अभिव्यक्तियां भरतनाट्यम के जैसी होती हैं। इसमें भगवान विष्णु जी के आठवें अवतार श्री कृष्ण जी की कथा बताते हैं। इस मुद्रा के द्वारा भगवान श्री जगन्नाथ जी की महिमा का वर्णन किया जाता है। यह नृत्य श्री कृष्ण जी को समर्पित है। इसमें आये हुए छंद संस्कृत नाटक ‘गीत गोविन्दम’ में से लिए गए हैं। जो जयदेव जी द्वारा रचित है। यह स्त्रियोचित मुद्रा कहलाती है।
    विशेष - ओडसी नृत्य की अन्य प्रमुख मुद्राएं
    · चौक मुद्रा - चौक मुद्रा में नर्तकी अपने शरीर को थोड़ा सा झुकाती है और घुटने थोड़ा सा मोड़ लेती है। दोनों . हांथों को आगे की तरफ फैला लेती है। नवरसों और विभिन्न मुद्राओं को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। यह पुरुषोचित मुद्रा कहलाती है।
    · श्रृंगार करते हुए नर्तकी अपने आपको दर्पण में देखती है। इस मुद्रा को दर्पणी भंगी कहते हैं।
    · नर्तकी अपनी सखी के आगे की तरफ झुक जाती है और दोनों हाथों को पोटला की मुद्रा में एक - दूसरे से जोड़ लेती है और शरीर त्रिभंग मुद्रा में होता है। यह एक अन्य अभिनय मुद्रा है।
    · नृत्य में प्रयुक्त हस्त मुद्रा की सांकेतिक भाषा को ‘हस्ता’ कहते हैं। जो प्रतीकों,भावनाओं और शब्द विचारों को बताती है।


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