Super Exam Physics Wave Optics / तरंग प्रकाशिकी Question Bank तरंग एवं प्रकाशिकी

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    प्रत्येक प्रकाश स्रोत एक काल्पनिक माध्यम ईथर के द्वारा तरंगें संचरित करता है। यह कौन-सा सिद्धांत है?

    A) प्रकाश के कणिका का सिद्धांत

    B) हाइगेन्स का तरंग सिद्धांत

    C) मैक्सवेल का विद्युत - चुम्बकीय सिद्धांत

    D) प्रकाश का क्वांटम सिद्धांत

    Correct Answer: B

    Solution :

    उत्तर - हाइगेन्स का तरंग सिद्धांत
    व्याख्या - हाइगेन्स का तरंग सिद्धांत - सन 1678 में हॉलैण्ड के वैज्ञानिक हाइगेन्स ने प्रकाश का तरंग सिद्धांत प्रतिपादित किया। ये तरंगों में प्रकाश स्रोत से निकल कर सभी दिशाओं प्रकाश की चाल से चलती है। ये प्रकाश स्रोत से एक काल्पनिक माध्यम ईथर के द्वारा संचरित होती है। इसमें प्रकाश तरंग के संचरण सभी गुण होते है।
    प्रकाश के कणिका का सिद्धांत- सन 1675 ई. में न्यूटन इसका प्रतिपादन किया। प्रत्येक प्रकाश स्रोत से अशंख्य सूक्ष्म व हल्के अदृश्य कण निकलते रहते हैं जिन्हें कणिकायें कहा जाता है। ये कणिकायें प्रकाश प्रकाश के वेग से सभी दिशाओं में चलती है। जब ये कणिकायें आखों के रेटिना पर आपतित होती हैं तो हमें वस्तुएं दिखाई देने लगती हैं। विभिन्न रंगो की कणिकायें भिन्न-भिन्न आकर की होती हैं। इस सिद्धांत के आधार पर प्रकाश के सरल रेखीय गमन, निर्वात में गमन, परावर्तन, अपवर्तन इत्यादि को समझाया जा सकता है। लेकिन यह सिद्धांत प्रकाश के व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण इत्यादि को नहीं समझा सकता।
    प्रकाश का विद्युत-चुम्बकीय सिद्धांत- सन 1873 में जेन्स क्लार्क मैक्सवेल ने यह सिद्धांत दिया था। इसके अनुसार जब किसी परिपथ में चुम्बकीय अथवा विद्युत क्षेत्र किसी आवृत्ति में परिवर्तित होता है। तो वह केवल परिपथ तक सीमित नहीं रहता। परिपथ में हो रहे दोलनों में एक प्रकार की तरंगें जिन्हें विद्युत-चुम्बकीय तरंगें कहते हैं, उत्पन्न होती है, जिनका वेग प्रकाश के वेग के बराबर होता है तथा ये तरंगें निर्वात में भी गमन करती हैं।
    प्रकाश का क्वान्टम सिद्धांत- सन 1900 में जर्मन वैज्ञानिक मैक्स प्लान्क ने क्वांटम का सफलतापूर्वक सिद्धांत प्रतिपादित किया। इस सिद्धांत के अनुसार विकिरण का अवशोषण अथवा उत्सर्जन ऊर्जा की निश्चित मात्रा के छोटे-छोटे पैकेटों अथवा बंडलों के रूप में होता है। ऊर्जा के इन पैकेटों को क्वांटा अथवा फोटॉन कहते हैं। यदि फोटॉन आवृत्ति V हो तब फोटॉन की ऊर्जा E = h. v होगी।
    जहां h = प्लांक नियतांक, जिसका मान \[6.62\text{ }\times {{10}^{-34}}\]जूल सेकेंड होता है।
    \[E=\text{ }6.62\text{ }\times \text{ }{{10}^{-34}}\times 5\times {{10}^{14}}\]
    \[E=\text{ }33.10\text{ }\times \text{ }{{10}^{-20}}\] जूल होती है।
    सन 1905 में अलबर्ट आइन्स्टीन ने प्लांक के क्वाण्टम सिद्धांत के आधार पर प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या की। प्रकाश की समस्त घटनाओं को समझाने के लिए विद्युत-चुम्बकीय तरंग सिद्धांत तथा फोटॉन सिद्धांत दोनों ही आवश्यक है। तरंग सिद्धांत से प्रकाश के व्यतिकरण, विवर्तन एवं ध्रुवन आदि घटनाओं की व्याख्या की जा सकती है तथा फोटॉन सिद्धांत से प्रकाश विद्युत प्रभाव, क्वाण्टम प्रभाव, रमन प्रभाव आदि की व्याख्या होती है। प्रकाश में कणिका (फोटॉन) एवं तरंग दोनों ही गुण विद्यमान है अर्थात प्रकाश की प्रकृती द्वैत (Dual) होती है।


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