भारतीय साहित्यिक प्रवृतियां

भारतीय साहित्यिक प्रवृतियां

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भारतीय साहित्यिक प्रवृतियां

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

मनुष्य विविध देशकाल में भाषा, साहित्य और संस्कृति का सृजन और विकास करता आया है जिसमें अनेक प्रकार की विविधताएं, भिन्नताएं और समानताएं पाई जाती हैं। वस्तुत: साहित्य मनुष्य की आतंरिक अनुभूतियों और संवेदनाओं का. अभिव्यक्त रूप होता है। यह माना जाता है कि मानव की आतंरिक भावनाएं समान होती हैं। उसकी महसूस करने तथा भाव प्रकट करने की शक्ति भी सार्वभौमिक द्य है। शोक, हर्ष, घृणा, क्रोध, प्रेम और वात्सल्य जैसे अनेक भाव विश्व मानव में समान पाए जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप साहित्य का मूलभूत ढांचा सभी भाषाओं में एक-सा ही दिखाई देता है। साहित्य 2 प्रकार के होते हैं। धार्मिक साहित्य और धर्मनिरपेक्ष साहित्य। धार्मिक साहित्य भी दो प्रकार का है- ब्राह्मण ग्रंथ तथा तथा अब्राह्मण ग्रन्थ जैसे कि बौद्ध तथा जैन ग्रन्थ।

 

प्राचीन भारत मे साहित्य

  • ब्राह्मण ग्रन्थों को भी श्रुति तथा स्मृति, दो भागों में विभाजित किया गया है।
  • वेद आर्यों के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं। प्राचीनता तथा महानता के कारण ही ये मानव-रचित न होकर ईश्वर-प्रदत्त माने गये हैं।
  • वैदिक मन्त्रों तथा संहिताओं की गद्य टीकाओं को ब्राह्मण कहा जाता है।
  • उपनिषदों में वृहदारण्यक, छान्दोग्यादि अधिक प्राचीन हैं।
  • मुण्डक उपनिषदक में छ: वेदांगों का उल्लेख किया गया हैशिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्दशास्त्र तथा ज्योतिष।
  • वैदिक साहित्य के पश्चात् भारतीय साहित्य के दो स्तम्भ रामायण तथा महाभारत का अविर्भाव है।
  • नाटîशास्त्र को पंचमवेद भी कहा जाता है।
  • महाकाव्यों के पश्चात् पुराणों का आता है। पुराणों की संख्या 18 है। पुराणों की रचना का श्रेय लोमहर्ष अथवा उनके पुत्र (सौति) उग्रश्रवस या उग्रश्रवा को दिया गया है।
  • कालिदास ने कई नाटकों की रचना की जिनमें कुमारसंभवम्, रघुवंशम्, अभिज्ञानशाकुंतलम् आदि प्रमुख हैं।
  • मनु, विष्णु, याज्ञवल्क्य, नारद, वृहस्पति, पराशर आदि की स्मृतियां विशेष उल्लेखनीय है। ये धर्मशास्त्र के नाम से विख्यात हैं।
  • त्रिपिटक, जातक, बौद्ध ग्रन्थ हैं।
  • दीपवंश तथा महावंश मिलिन्दपन्हो आदि पालि ग्रन्थ हैं।
  • परिशिष्टवर्मन, भद्रबाहुचरित्र, कथाकोष, पुण्याश्रव-कथाकोष, लोक-विभाग, त्रिलोक-प्रज्ञप्ति, आवश्यक सूत्र, भगवती सूत्र, कालिकापुराण आदि जैन ग्रन्थ है।
  • भारवि ने ‘किरातार्जुनीयम्’ तथा माघ ने शिशुपाल वध नामक महाकाव्य की रचना की।
  • प्राचीन भारत में कुछ शिक्षाप्रद संस्कृत साहित्यों की रचना हुई, जैसे- पंचतंत्र, हितोपदेश आदि।
  • द्रविड़ साहित्य में 4 भाषाओं को लिखित साहित्य में सम्मिलित किया जाता है। ये भाषाएं हैं - तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम।
  • चारों द्रविड़ भाषाओं में तमिल भाषा सबसे प्राचीन है तथा इसमें सबसे पहले साहित्य लेखन आरंभ हुआ।
  • तेलुगू भाषा के कुछ शब्द सर्वप्रथम पहली सदी में राजा हाल द्वारा रचित गाथा सप्तसती में मिलते हैं।
  • कन्नड़ भाषा को समृद्ध बनाने का श्रेय रत्नत्रयी कहे जाने वाले पम्पा, पोन्न, रन्न नामक कवियों को जाता है।
  • थुनचातु एझुथच्चन को “आधुनिक मलयालम का पिता” कहा जाता है।

 

मध्यकालीन भारत में साहित्य

  • 1000 से 1800 ईसवी सन् के बीच मध्यकालीन भारतीय साहित्य का सर्वाधिक शक्तिशाली रुझान भक्ति काव्य है जिसका देश की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं पर आधिपत्य है।
  • भक्ति साहित्य मध्यकालीन युग की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना है । यह प्रेम से भरा काव्य है, जिसमें भक्त अपने ईश्वर, कृष्ण या राम के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति करता है, जो महान भगवान विष्णु के दो प्रमुख अवतार हैं।
  • कबीर कहते हैं कि संस्कृत एक निश्चल कूप के जल के समान है, भाषा बहते पानी की तरह होती है।
  • कन्नड़ में भक्ति साहित्य, कृष्ण, राम और शिव सम्प्रदायों के विभिन्न सन्तों के वचन काफी प्रसिद्ध हैं।
  • पंजाबी की सबसे अधिक प्रसिद्ध प्रेम गाथा हीर रांझा है जो । मुस्लिम कवि वारिस शाह की एक अमर पुस्तक है।

 

आधुनिक भारत में साहित्य

  • उन्नीसवीं शताब्दी में भारतीय साहित्य में पुनरुज्जीवन विशेषताएं देखने को मिलती हैं।
  • राममोहन राय (1772-1837), बंकिम चन्द्र चटर्जी, विवेकानन्द, माधव गोविन्द रानाडे, यू वी स्वामीनाथ अय्यर, गोपाल कृष्ण गोखले, के वी पंटुलु, नर्मदा शंकर लालशंकर दवे और कई अन्य नेताओं ने भी इसका नेतृत्व किया।
  • आधुनिक भारतीय भाषाओं में साहित्यिक गद्य के आविर्भाव और सेरमपुर, बंगाल में एक अंग्रेज विलियम केरी (1761-1834) के संरक्षण में मुद्रणालय स्थापित हुआ।
  • रवीन्द्र नाथ टैगोर के पश्चात जीवनान्द दास (1899-1954) बांग्ला के सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कवि थे जिन्हें काव्य की पूरी समझ थी।
  • आगा हश्र (1880-1931) पारसी रंगशाला के एक महत्त्वपूर्ण नाटकार थे।
  • आधुनिक रंगशाला का निर्माण 1947 में भारत द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त करने के पश्चात् ही पूर्ण हुआ।
  • सामाजिक दृष्टि से शोषित व्यक्तियों से जुड़ा साहित्य दलित साहित्य कहलाता है।
  • भारतीय स्वछंदतावाद श्री अरविंद, रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी के प्रभाव से विकसित हुआ।?


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