भारत का भौतिक विभाजन
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भारत का भौतिक विभाजन
विश्लेषणात्मक अवधारणा
भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व का सातवां बड़ा देश हैं। आकार की इस विशालता के कारण भारत के भौतिक स्वरूप में अनेक विविधताएं देखी जाती हैं। प्रस्तुत पाठ भारत का भौतिक स्वरूप के अध्ययन के पश्चात हम भारत के प्रमुख उच्चावच, पर्वत, पठार, मैदान, द्वीप, आदि का वर्णन कर सकेंगे। इस अध्याय के गहन अध्ययन पश्चात यह निष्कर्ष निकाल सकेंगे कि भारत के भ-आकतिक विभाग एवं आर्थिक विकास किस प्रकार से एक दूसरे के पूरक हैं।
भारत विभिन्न स्थलाकृतियों वाला एक विशाल देश है, जिसकी भूमि अनेक भौतिक विभिन्नताओं को दर्शाती है। भारत के सम्पूर्ण क्षेत्रफल के 43% पर मैदान, 28% पर पठार, 18% पर पहाड़ एवं 11% क्षेत्रफल पर पर्वत स्थित हैं। भू-आकृति विज्ञान के आधार पर भारत को निम्न छ: भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया गया है
1. उत्तर तथा उत्तर पूर्वी पर्वतमाला
2. उत्तर भारत का मैदान
3. भारतीय मरूस्थल
4. प्रायद्वीपीय भारत
5. तटीय मैदान
6. द्वीप समूह
उत्तर तथा उत्तर पूर्वी पर्वतमाला
§ इसके अंतर्गत हिमालय पर्वतमाला, ट्रांस हिमालय एवं उत्तर-पूर्वी पहाड़ियां शामिल हैं।
हिमालय पर्वत श्रृंखला
§ हिमालय पश्चिम-पूर्व दिशा में सिंधु नदी से लेकर बह्मपुत्र नदी तक कुल 2400 किमी. लम्बार्इ में विस्तृत है।
§ हिमालय भू-गर्भीय रूप से युवा एवं संरचना की दृष्टि से एक वलित पर्वत श्रृंखला का उदाहरण है।
§ अक्षांशीय दृष्टि से हिमालय को उत्तर से दक्षिण दिशा में निम्न तीन भागों में विभाजित किया गया है -
वृहद् हिमालय
§ वृहद् हिमालय को केंद्रीय अक्षीय श्रेणी, महान हिमालय, आंतरिक हिमालय या हिमाद्री भी कहते हैं। इसका क्रोड ग्रेनाइट का बना है।
§ इसकी चौड़ार्इ कश्मीर में 400 किमी. एवं अरूणाचल में 150 किमी. है। पश्चिमी भाग की अपेक्षा पूर्वी भाग की ऊंचार्इ अधिक है।
§ गंगा व यमुना एवं इसकी सहायक नदियों का उद्गम महान हिमालय से ही है।
§ हिमालय पर्वत श्रृंखला की सभी सर्वोच्च पर्वत चोटियां महान हिमालय में ही स्थित हैं, जैसे - माऊंट एवरेस्ट (8848 मी.), कंचनजंगा (8598 मी.), मकालु (8481 मी.) धौलागिरि (8172 मी.) आदि।
लघु हिमालय
§ वृहद् हिमालय के दक्षिण में उसी के समानांतर लघु हिमालय है। इसे मध्य हिमालय, हिमाचल हिमालय या निम्न हिमालय भी कहते हैं।
§ इसकी औसत चौड़ार्इ 50 किमी. व ऊंचार्इ 3700 मी. से 4500 मी. के मध्य है।
§ मध्य हिमालय में महान हिमालय की अपेक्षा अधिक तापमान पाया जाता है, जिसके फलस्वरूप पवर्तो की ढालों पर छोटे-छोटे घास के मैदानों का निर्माण हुआ है।
§ इन घास के मैदानों को कश्मीर में मर्ग (जैस-गुलमर्ग, सोनमर्ग) एवं उत्तराखंड में बुग्याल या पयार कहते है।
§ हिमालय प्रदेश के सभी स्वस्थ्यवर्धक व मनोरम पर्यटन स्थल (हिल स्टेशन) मध्य हिमालय में ही पाये जाते है -
जैसे कुल्लु-मनाली (हिमाचल प्रदेश), रूड़की (उत्तराखंड), मसूरी (उत्तराखंड), डलहौजी (हिमाचल प्रदेश), लैंसडाउन (उत्तराखंड) आदि।
§ आर्थिक रूप से सर्वाधिक दोहन मध्य या लघु हिमालय का ही होता है।
शिवालिक
§ हिमालय की सबसे बाह्य श्रेणी को शिवालिक कहा जाता है। इसे बाह्य हिमालय भी कहते हैं।
§ लघु हिमालय तथा शिवालिक के मध्य स्थित लंबवत् घाटियों को पश्चिम में दून (जैसे-देहरादून, कोटलीदून, पाटलीदून) एवं पूर्व में द्वार (जैसे-हरिद्वार, कोटद्वार) कहते है।
§ इसकी चौड़ार्इ 10 से 50 किमी. तथा ऊंचार्इ 900 से 1100 मी. के मध्य है।
§ शिवालिक को स्थानीय स्तर पर विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे- जम्मू-कश्मीर में जम्मू पहाड़ी, उत्तराखंड में डुण्डवा पहाड़ी, नेपाल में चूरिया-मूरिया पहाड़ी व अरूणाचल प्रदेश में डाफला, अबोर, निशी, मिशमी, पहाड़ी आदि।
ट्रांस हिमालय
§ महान हिमालय के उत्तर में स्थित वृहद् पर्वतीय क्षेत्र पार हिमालय या ट्रांस हिमालय कहलाता हैं।
§ काराकोरम श्रेणी में स्थित गॉडविन ऑस्टिन (K2) भारत की सर्वोच्च पर्वत चोटी है। (8611 मी.)
§ काराकोरम श्रेणी का पुराना नाम कृष्णागिरी था। इसे एशिया की रीढ़ (Backbone of High Asia) भी कहा जाता है।
§ मांऊट रॉकोपॉशी लद्दाख श्रेणी की सर्वोच्च चोटी है।
उत्तर-पूर्वी पहाड़ियां
§ पूर्वोत्तर राज्यों में इन पहाड़ियों का विस्तार उत्तर से दक्षिण दिशा में है।
§ इस क्षेत्र की कर्इ पहाड़ियां भारत-म्यांमार सीमा के साथ विस्तृत हैं- जैसे- पटकोर्इ (अरूणाचल प्रदेश), नागा (नागालैंड), लुसार्इ (मिजोरम) आदि।
§ आंतरिक भागों में स्थित पहाड़ियों में असम की मिकिर हिल्स व मेघालय की गारो, खांसी, जयंतियां पहाड़ियां प्रमुख हैं।
§ मिजोरम को मोलेसिस बेसिन भी कहा जाता है।
§ मणिपुर घाटी के मध्य एक झील स्थित है जिसे लोकताक झील कहा जाता है। यह चारों ओर से पहाड़ियों से घिरी है।
उत्तरी भारत का मैदान
§ इन मैदानों का निर्माण सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों द्वारा बहाकर लाये गये जलोढ़ निक्षेप के जमाव से हुआ है।
§ इस मैदान की पूर्व से पश्चिम लम्बार्इ लगभग 3200 किमी. तथा औसत चौड़ार्इ 150 से 300 किमी. के मध्य है।
§ संरचनात्मक ष्टि से इन मैदानों को उत्तर से दक्षिण दिशा में तीन भागों में बांटा गया है -
1. भाभर
2. तरार्इ
3. जलोढ़ मैदान (बांगर व खादर)
§ क्षेत्रीय आधार पर उत्तरी मैदानों को तीन उपवगोर्ं में विभाजित किया गया है -
1. पंजाब का मैदान
2. गंगा का मैदान
3. ब्रह्मपुत्र का मैदान
§ पंजाब मैदानों की प्रमुख विशेषता, यहां स्थित दोआब हैं, जिनका निर्माण सिंधु व उनकी सहायक नदियों द्वारा हुआ है।
§ ब्रह्मपुत्र घाटी का मैदान नदी द्वीप और बालु रोधिकाओं की उपस्थिति के लिए जाना जाता है।
भारतीय मरूस्थल
§ अरावली पहाड़ियों के उत्तर-पूर्व व पश्चिमी क्षेत्र पर स्थित वृहद् शुष्क क्षेत्र भारतीय मरूस्थल या थार मरूस्थल कहलाता है।
§ यहां वार्षिक वर्षा 150 मिमी. से कम होती है।
§ विश्व के मरूस्थलों में सर्वाधिक जनघनत्व थार मरूस्थल में ही पाया जाता है।
§ लूनी इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है।
§ यह माना जाता है कि मेसोजोइक काल में यह क्षेत्र समुद्र का हिस्सा था।
§ यहां की अधिकतर नदियां अल्पकालिक हैं।
प्रायद्वीपीय भारत
§ स्थलखंड का ऐसा भाग जो तीन-ओर से जल से घिरा होता है, प्रायद्वीप कहलाता है।
§ त्रिभुजाकार आकृति में विस्तृत यह क्षेत्र, प्राचीन गोंडवाना भू-भाग का हिस्सा है।
§ उत्तर-पश्चिम में अरावली व दिल्ली, पूर्व में राजमहल पहाड़ियां, पश्चिम में पश्चिमी घाट व पूर्व में पूर्वी घाट, प्रायद्वीपीय पठार की सीमाएं निर्धारित करते हैं।
§ प्रायद्वीपीय भारत अनेक पठारों से मिलकर बना है, जैसेहजारीबाग पठार, रांची पठार, मालवा पठार, बुंदेलखण्ड पठार, बघेलखण्ड पठार, पलायु पठार, कोयम्बटूर पठार, कर्नाटक पठार आदि।
§ भू-गर्भीय तौर पर प्रायद्वीपीय पठार पृथ्वी की सतह का प्राचीनतम भाग है।
§ यह एक बहुत ही स्थिर भाग माना जाता था, परंतु हाल के भूकंपों ने इसे गलत साबित किया है।
§ सामान्य तौर पर प्रायद्वीप की ऊंचार्इ पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती चली जाती है। नदियों का पश्चिम की ओर प्रवाह इस बात का प्रमाण है।
§ मुख्य उच्चावच लक्षणों के अनुसार प्रायद्वीपीय पठार को 3 भागों में बांटा जा सकता है
1. दक्कन का पठार
2. मध्य उच्च-भू-भाग
3. उत्तर-पूर्वी पठार
§ प्रायद्वीपीय पठार में पार्इ जाने वाली काली मृदा को दक्कन ट्रैप कहते हैं।
तटीय मैदान
§ प्रायद्वीपीय पठार के दोनों किनारों पर नदियों द्वारा अपरदन एवं निक्षेपण के फलस्वरूप संकीर्ण तटीय पट्टियों का विस्तार पाया जाता है।
§ अवस्थिति के आधार पर इन्हें दो भागों में विभाजित किया गया है
1. पश्चिमी तटीय मैदान
2. पूर्वी तटीय मैदान
§ पश्चिमी तटीय मैदान जलमग्न तथा पूर्वी तटीय मैदान उभरे हुए तट का उदाहरण हैं।
§ पश्चिमी तटीय मैदान की तुलना में पूर्वी तटीय मैदान चौड़ा है।
§ मालाबार तट (केरल-कर्नाटक) की विशेष स्थलाकृति कयाल (Backwaters) है, जिसे मछली पकड़ने और अंत: स्थलीय नौकायन के लिये प्रयोग किया जाता है। केरल में प्रति वर्ष पुन्नामादा कयाल में नेहरू ट्राफी वलामकाली (नौका दौड़) का आयोजन किया जाता है।
द्वीप समूह
§ स्थलखण्ड का ऐसा भाग जो चारों ओर से जलीय भाग से घिरा होता है उसे द्वीप कहते हैं।
§ भारत में दो प्रमुख द्वीप समूह हैं
1. बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान-निकोबार द्वीप समूह
2. अरब सागर में स्थित
§ लक्षद्वीप समूह लक्षद्वीप समूह के द्वीपों का निर्माण प्रवाल से हुआ है एवं अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के द्वीप निमज्जित पर्वत श्रेणियों के शिखर हैं।
§ कावारत्ती द्वीप लक्षद्वीप समूह का एवं पोर्ट ब्लेयर, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का प्रशासनिक मुख्यालय है।
§ मिनिकॉय लक्षद्वीप समूह का सबसे बड़ा द्वीप है, जिसका क्षेत्रफल 453 वर्ग किमी. है।
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