गुरूत्वाकर्षण एवं सरल आवर्तगति (दोलन)

गुरूत्वाकर्षण एवं सरल आवर्तगति (दोलन)

Category :

 

गुरुत्वाकर्षण एवं सरल आवर्तगति (दोलन)

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

                ब्रह्माण्ड का प्रत्येक कण/पिंड को अपने द्रव्यमान के कारण आकर्षित करता है। कणों के बीच इस प्रकार से लगने वाला आकर्षण गुरुत्वाकर्षण कहलाता है। आधकाल से बहुत से देशों में तारों, ग्रहों तथा उनकी गतियों के प्रेक्षण जैसी असंबद्ध प्रतीत होने वाली परिघटनाएं ध्यानाकर्षण का विषय रही है। आर्यभट्ट (5वीं शताब्दी में) ने पहले से ही अपने शोध प्रबन्ध में एक अधिक परिष्कृत मॉडल' का वर्णन किया। जिसे सूर्य केन्द्री मॉडल कहते हैं। इस अध्याय में हम दोलन गति तथा उसके उपयोगों का अध्ययन करेगे।

 

 

                ब्रह्माण्ड का प्रत्येक कण/पिंड को अपने द्रव्यमान के कारण आकर्षित करता है। कणों के बीच इस प्रकार से लगने वाला आकर्षण गुरुत्वाकर्षण कहलाता है।

 

                कैपलर के नियम (Keplar's Law)

                सर्वप्रथम कैपलर ने ग्रहों की गति के बारे में नियम प्रतिपादित किया कैपलर ने खगोलीय प्रेक्षणों के आधार पर ग्रहों की गति के बारे में तीन नियमों का प्रतिपादन किया

               

                प्रथम नियम (कक्षाओं का नियम)

            सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर एक दीर्ध वृत्ताकार कक्षा में परिक्रमण करता है तथा कक्षाओं के एक फोकस पर सूर्य स्थिर होता है।

 

                द्वितीय नियम (क्षेत्रफलीय चाल का नियम)

                किसी भी ग्रह को सूर्य से मिलाने वाली वाली काल्पनिक रेखा समान समय में समान क्षेत्रफल तय करती है। कैपलर का द्वितीय नियम 'कोणीय संवेग संरक्षण नियम' पर आधारित है।

 

                तृतीय नियम (परिक्रमण काल का नियम)

                किसी भी ग्रह का सूर्य के चारो ओर परिक्रमण काल का वर्ग ग्रह की दीर्धवार्ताकार कक्षा के अर्द्ध-दीर्घ अक्ष के तृतीय घात के समानुपाती होता है।

            \[{{T}^{2}}\propto {{a}^{3}}\Rightarrow \]                  (K= नियंताक है)

 

                न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम

            कैपलर के नियमों के आधार पर न्यूटन ने निम्न नियमों का प्रतिपादन किया-

                सभी ग्रहों पर एक अभिकेंद्र बल \[F=\frac{m{{v}^{2}}}{r}\] और \[\left( {{F}_{C}}={{m}^{\mathbf{.}}}\,{{r}^{\mathbf{.}}}\,{{w}^{2}} \right)\]कार्य करता है जिसकी दिशा सूर्य की तरफ होती है। ब्रह्माण्ड में स्थित किन्ही दो पिंडों के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल (f) उनके द्रव्यमानों (m, m.) के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

                                \[F=G\frac{{{m}_{1}}{{m}_{2}}}{{{r}^{2}}}\]

            G= सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियंताक \[\left( 6.67\times {{10}^{-11}} \right)\] \[N{{m}^{2}}\]/\[K{{g}^{2}}\])

           

            गुरुत्वीय क्षेत्र और उसकी तीव्रता

                किसी गुरुत्वीय क्षेत्र में स्थित एकांक द्रव्यमान के पिंड पर लगने वाले (गुरुत्वाकर्षण बल) के मान को उस बिंदु पर गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं।

            गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता उस बिंदु पर उस एकांक बिंदु द्रव्यमान पर कार्यरत गुरुत्वीय बल दिशा दोनों को प्रदर्शित करती है।

                गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता \[\left( I \right)=\frac{F}{M}\]-    जहां द्रव्यमान = M,

                                                                         पिंड पर लगा भार = F

               

                यह सदिश राशि है इसका मात्रक - न्यूटन/कि.ग्रा. या मीटर/से.2 विमीय सूत्र - [MPLIT-2]

 

                गुरुत्वीय विभव- किसी भी एकांक द्रव्यमान को गुरुत्वीय क्षेत्र में अनन्त बिंदु से किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य का मान उस बिंदु पर गुरुत्वीय विभव कहलाता है।

               

            गुरुत्वीय विभव एक अदिश राशि है SI मात्रक - जूल/कि.ग्रा.

            विमीय सूत्र - \[\left[ {{M}^{0}}{{L}^{1}}{{T}^{-2}} \right]\]

           

            गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा

            (Gravitational Potential Energy)

                किसी वस्तु के गुरुत्वीय क्षेत्र के विरुद्ध अनन्त से गुरुत्व क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में किया गया कार्य का मान उस वस्तु में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है इसे ही गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।

           

            SI मात्रक- जूल

 

                उपग्रह और कृत्रिम उपग्रह

            वे आकाशीय पिंड जो किसी तारे या सूर्य के चारों ओर अपनी निश्चित कक्षा में चक्कर लगाते हैं, ग्रह कहलाते हैं।

                ग्रहों का चक्कर लगाने वाले आकाशीय पिंडों को उपग्रह कहते हैं  मानव निर्मित उपग्रहों को कृत्रिम उपग्रह कहते हैं।

                उपग्रह का कक्षीय वेग \[{{V}_{0}}={{R}_{C}}\sqrt{\frac{{{g}_{e}}}{\left( {{R}_{e}}+h \right)}}\]

                परिक्रमण काल \[\left( T \right)=\frac{2\pi {{\left( {{R}_{e}}+h \right)}^{3/2}}}{\sqrt[{{R}_{e}}]{ge}}\]

                उपग्रहों का कक्षीय वेग परिक्रमण काल उनके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।

                पृथ्वी तल के अति निकट (h = 0) चक्कर लगा रहे उपग्रह का कक्षीय वेग लगभग 8 मी/से परिक्रमण लगभग 84 मिनट होता है।

 

                उपग्रहों में भारहीनता

                किसी सतह पर खड़ा होने पर प्रतिक्रिया बल लगने के कारण मनुष्य को भार अनुभव होता है।

                अंतरिक्ष यात्री का त्वरण तथा पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान का त्वरण बराबर होता है।

                यात्री का यान के सापेक्ष त्वरण शून्य होता है, इसलिए यान की सतह द्वारा यात्री पर कोई प्रतिक्रिया बल नहीं लगाया जाता तथा यान में यात्रा कर रहा व्यक्ति भारहीनता का अनुभव करता है।

 

                सरल आवर्त गति (Simple Harmonic Motion)

                आवृत्ति गति (Periodic Motion)

                जब कोई गतिमान वस्तु एक निश्चित समयान्तराल के पश्चात अपने निश्चित पथ पर बार-बार अपनी गति को दोहराती है तो वस्तु की इस प्रकार की गति को वस्तु की आवृत्ति गति कहते हैं।

                निश्चित समयान्तराल जिसमें यह गतिमान वस्तु अपने निश्चित पथ पर एक चक्कर पूरा करती है उसका आवर्तकाल कहा जाता है।

            आवृत्ति गति के उदाहरण-

§  लोलक की गति

§  घड़ी की सुइयों की गति

§  चंद्रमा का पृथ्वी के चारों ओर घूमने की गति

§  कम्पन करते स्वरित्र की भुजाओं की गति

 

            सरल आवर्त गति में कण के विस्थापन समीकरण (Displacement Equation of Simple Harmonic Motion)

                जब कण अपनी गति माध्य स्थिति से प्रारंभ करता हो-

                \[y=a\sin \omega t\]

            व्यापक समीकरण \[y=a\,\sin \,\left( \omega \,t+\phi  \right)\]

                यहां पर कोण लम्ब पाद N की प्रारम्भिक कला अथवा आदि कोण कहलाता है।

                आयाम (Amplitude): सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण का उसकी माध्य स्थिति से किसी एक ओर का अधिकतम विस्थापन उसका आयाम कहलाता है।

Other Topics


You need to login to perform this action.
You will be redirected in 3 sec spinner